साल के ज्यादातर समय सुस्ती के बावजूद भारत में अधिग्रहण व विलय के लिहाज से यह साल गुलजार रहा और इस दौरान 29 अरब डॉलर मूल्य के अधिग्रहण व विलय सौदे हुए. अगले साल यह आंकड़ा 40 अरब डॉलर का स्तर छू जाने की संभावना है.
विशेषज्ञों का कहना है कि नई सरकार द्वारा विदेशी निवेश सीमा में ढील देने सहित सुधारों के विभिन्न उपायों का वादा करने से नए साल में विलय एवं अधिग्रहण के सौदों में तेजी आनी चाहिए. वैश्विक परामर्श फर्म पीडब्ल्यूसी के मुताबिक, 2014 में देश में विलय व अधिग्रहण गतिविधि इससे पिछले साल की तुलना में नौ प्रतिशत बढ़ी और इस दौरान कुल 28.7 अरब डॉलर मूल्य के 800 विलय एवं अधिग्रहण सौदे दर्ज किए गए. साल 2013 में 26.3 अरब डॉलर मूल्य के करीब 850 सौदे किए गए थे.
सौदों में वृद्धि की मुख्य वजह घरेलू विलय व अधिग्रहण क्षेत्र में तेजी रही जो करीब दोगुनी हो गई, जबकि विदेशी कंपनियों द्वारा देश में सौदों में 37 प्रतिशत एवं घरेलू कंपनियों द्वारा विदेश में सौदो में 75 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी कंपनियों द्वारा देश में सौदे प्रभावित होने की वजह यह है कि ज्यादातर विदेशी निवेशक भारत में निवेश से करने से पहले वास्तवित सुधार होता देखना चाहते हैं.
केपीएमजी के प्रमुख (लेनदेन व पुनर्गठन) विक्रम होसांगडी ने कहा, ‘साल 2014 सकारात्मक रख के साथ खत्म हो रहा है और भारत में निवेशकों की रचि बढ़ी है. नई सरकार के व्यापक स्तर पर सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध होने के मद्देनजर हमें सौदों के लिहाज से 2015 बहुत जबरदस्त रहने की उम्मीद है.’
इनपुट-भाषा