आपको याद होगा कि 2016 की शुरुआत में आप किस तरह बचा-बचाकर मोबाइफ फोन डाटा इस्तेमाल करते थे. मसलन, 50 रुपये का इंटरनेट पैक (डाटा) लिया तो उसे पूरे महीने चलाने के लिए जी-जान लगा देते थे. पर साल जाते-जाते मोबाइल इंटरनेट के क्षेत्र में काफी कुछ बदल गया है. साल की शुरुआत में 50 रुपये में जो डाटा आपको मिल रहा था, उसका दस गुना ज्यादा अब साल के जाते-जाते मिलने लगा है. यही नहीं, इंटरनेट की जो स्पीड आपको साल की शुरुआत में मिल रही थी, उसमें 70 से 80 फीसदी का अंतर आ गया है.
रिलायंस की क्रांति
आज से कुछ साल पहले जब
एक कॉल के लिए 8 रुपये देने पड़ते थे
और इसके साथ आने वाली कॉल के
लिए भी 1 रुपया चुकाना पड़ता था,
तब किसी ने नहीं सोचा था कि
मोबाइल से कॉल करना इतना सस्ता
हो जाएगा. आर-कॉम ने कॉल टेरिफ को आठ से घटाकर
एक रुपये कर दिया. धीरे-धीरे सभी
कंपनियों ने अपनी कॉल दरें घटा दीं
और आज आप 20 से 30 पैसे प्रति
मिनट की दर से कॉल कर सकते हैं.
इंटरनेट के क्षेत्र में भी रिलायंस ने कुछ ऐसी ही क्रांति की है. रिलायंस कम्युनिकेशंस द्वारा जियो नेटवर्क पर 4जी सर्विस शुरू किए जाने के बाद भारत का इंटरनेट बाजार 80 फीसदी सस्ता हो गया है. अब स्मार्टफोन यूजर्स सिर्फ 93 रुपये में 10 जीबी इंटरनेट डाटा इस्तेमाल कर सकते हैं. शुरुआती दौर में रिलायंस ने अपने यूजर्स को फ्री इंटरनेट सेवाएं भी दीं.
मोबाइल इंटरनेट के मैदान में रिलायंस जियो के उतरते ही इंटरनेट सेवा प्रदाता दूसरी कंपनियों ने भी अपने टेरिफ सस्ते कर दिए. एयरटेल, आइडिया, वोडाफोन आदि कंपनियों ने जहां इंटरनेट की दरें घटाईं, वहीं स्पीड में भी सुधार किया. जियो के लांच होने से पहले ही सभी प्रतिद्वंद्वी टेलीकॉम कंपनियों ने अपने इंटरनेट डाटा रेट 67 फीसदी तक घटा लिए.
4जी बना देश का प्रमुख डाटा नेटवर्क
मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया पर नजर रखने वाली कंपन डेलॉयट के एक हालिया सर्वे के अनुसार साल 2016 4जी टेक्नोलॉजी के नाम रहा. रेलायंस द्वारा दरें घटाने के बाद लोगों में 4जी नेटवर्क पर आने की होड़ बढ़ी है. 45 प्रतिशत स्मार्टफोन यूजर्स का कहना है कि उन्होंने 4जी नेटवर्क पर आने के लिए अपना फोन अपग्रेड किया है.
4 जी नेटवर्क आते ही इंटरनेट सस्ता और ज्यादा तेज होने के बाद इस साल मोबाइल पर बैंक एकाउंट हैंडल करने वाले लोगों में भी इजाफा हुआ है. स्मार्टफोन रखने वाले 54 फीसदी लोग अब अपने मोबाइल पर ही बैंक बैलेंस चेक करते हैं, 54 प्रतिशत यूटिलिटी बिल्स का भुगतान करते हैं और 53 फीसदी मोबाइल यूजर्स सेवाओं के भुगतान भी मोबाइल से ही करते हैं. सर्वे के दौरान 38 फीसदी लोगों ने कहा कि वो मोबाइल इंटरनेट के जरिये ही पैसे भी ट्रांसफर करते हैं. वहीं, 31 प्रतिशत लोग देश से बाहर पैसा ट्रांसफर करने के लिए भी मोबाइल इंटरनेट पर ही निर्भर हैं. वहीं 53 फीसदी लोग स्मार्टफोन की खरीदारी ऑनलाइन ही करते हैं.
निम्न और मध्यम वर्ग तक पहुंचा इंटरनेट
दरअसल, इंटरनेट को भारत के निम्न और मध्यम वर्ग तक पहुंचाने की राह में सबसे बड़ी बाधा थी इंटरनेट पैक का महंगा होना. देश के अधिकांश कंज्यूमर निम्न मध्य और गरीब वर्ग के हैं, उनके लिए महंगा डाटा अफोर्ड करना संभव नहीं था. ऐसे में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मुखिया मुकेश अंबानी द्वारा जियो की लांचिंग के बाद देश के तमाम युवाओं की डाटागिरी शुरू हो गई. वाकई जियो की डाटागिरी टेलीकॉम इंडस्ट्री की गेमचेंजर साबित हुई. इसके बाद देश का मोबाइल संसार ही बदल गया था.
2021 तक पांच गुना बढ़
जाएगा डाटा यूज
टेलीकॉम गीयर निर्माता कंपनी एरिक्सन के हालिया अध्ययन के मुताबिक स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2021 तक इंटरनेट का इस्तेमाल पांच गुना ज्यादा बढ़ जाएगा, जो मोबाइल ट्रैफिक का 99 प्रतिशत होगा.
साल 2015 में डाटा ट्रैफिक जहां हर महीने 1.4 गीगाबाइट्स के स्तर पर था, वहीं साल 2021 तक इसके प्रति माह 7जीबी तक पहुंचने की संभावना है.