साल 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्याकल में 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया. इस आवंटन पर 2010 में पहली बार सवाल तब उठा जब देश के महालेखाकार और नियंत्रक (सीएजी) ने अपनी एक रिपोर्ट में इस स्पेक्ट्रम आवंटन से केन्द्र सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचने की बात कही गई.
रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर स्पेक्ट्रम दिया गया. सीएजी ने सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों के नुकसान होने का दावा किया था. वहीं दावा किया गया कि यदि लाइसेंस आवंटन नीलामी के आधार पर होता तो खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का इजाफा होता.
ए राजा पर लगे ये आरोप
इस घोटाले में तत्कालीन टेलिकॉम मंत्री ए राजा पर आरोप लगा कि उन्होंने आवंटन के नियमों में बदलाव करने के लिए टेलिकॉम कंपनियों से कमीशन लिया. इसके साथ ही यह भी कहा गया कि ए राजा ने इस बदलाव के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी सलाह को भी दरकिनार करते हुए कुछ टेलिकॉम ऑपरेटर को फायदा पहुंचाने का काम किया था. आरोप में यह भी कहा गया था कि ए राजा ने लाइसेंस के लिए आवेदन की तारीख में बदलाव किया और 2008 में हुए इस आवंटन के लिए 2001 के दर से एंट्री फीस वसूली जिसके चलते केन्द्रीय खजाने को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा.
2G घोटाले में स्पेशल CBI कोर्ट से ए. राजा-कनिमोझी समेत सभी आरोपी बरी
राजा को 15 महीने की जेल
मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सीएजी के 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के नुकसान से इतर 30,984 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही. इसके बाद 2012 में ए राजा के कार्यकाल में आवंटित सभी टेलिकॉम लाइसेंस को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करते हुए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. हालांकि इससे पहले नवंबर 2010 में ए राजा ने टेलिकॉम मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. सीबीआई की जांच के बीच राजा को फरवरी 2011 में जेल भेज दिया गया जहां से उन्हें 15 महीने के बाद रिहाई मिल पाई.
...देश का सबसे बड़ा घोटाला, एक लाइन का फैसला...और अब कोई दोषी नहीं
कानीमोई पर ये आरोप
डीएमके प्रमुख एम करुणानिधी की बेटी कानीमोई पर भी 2जी घोटाले में आरोप लगा था. आरोपों के मुताबिक कानीमोई के संबंध उस कलाइगनार टीवी से है जिसपर 2जी आवंटन में स्वान टेलिकॉम प्राइवेट लिमिटेड से कमीशन लेने का आरोप लगा था. शाहिद बालवा और डीबी रियल्टी लिमिटेड के विनोद गोइनका स्वान टेलिकॉम के प्रमोटर थे. पीटीआई रिपोर्ट के हवाले से सीबीआई ने 2015 में कोर्ट को बताया था कि स्वान टेलिकॉम को कमीशन के फ्रंट के तौर पर इस्तेमाल किया गया था. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि स्वान टेक्नोलॉजी की फंडिग अनिल अंबानी के रिसायंस एडीएजी से 14 सर्कल में 2जी लाइसेंस प्राप्त करने के लिए की गई थी. इसके चलते रिलायंस एडीएजी के तीन कर्मचारी - दोशी, सुरेन्द्र पिपारिया और हरि नायर को भी मामले में आरोपी बनाया गया था.