केंद्र सरकार फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने वालों को टैक्स में छूट देने का मन बना रही है. अगर ऐसा हुआ तो तीन साल तक की अवधि का एफडी करवाने पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा.
एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी है कि बैंक ऐसी मांग काफी समय से कर रहे थे और अब सरकार इसे हरी झंडी दिखाने पर तैयार हो गई है. लेकिन इसके लिए उन बैंकों को म्युचुअल फंडों और टैक्स फ्री बांड के साथ बराबरी की स्थिति रखनी होगी.
अखबार ने लिखा है कि बैंक अधिकारियों और वित्तीय संस्थाओं ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से बजट पूर्व बैठक में यह भी आग्रह किया है कि सरकार कंपनियों के लिए भी अलग तरह के टैक्स स्लैब बनाए, जैसा व्यक्तिगत करदाता के साथ होता है.
बैठक में यह विचार भी सामने आया कि कम समय वाले एफडी पर टैक्स में छूट दी जाए. बैंकों का कहना है कि एफडी पर टैक्स के कारण ग्राहक उस ओर आकर्षित नहीं होते और म्युचुअल फंड जैसी योजनाओं की ओर चले जाते हैं.
इनकम टैक्स की धारा 80c के तहत टैक्स में छूट एक समान नहीं है. एफडी के लिए यह पांच साल है तो पीपीएफ में 15 साल है नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में 6 साल है. ईएलएसएस में यह छूट तीन साल के लिए ही है.
जानकारों का मानना है कि अगर एफडी में टैक्स छूट की अवधि घटाकर तीन साल कर दी जाए तो यह ईएलएसएस से टक्कर ले सकती है जिसकी ओर ज्यादा से ज्यादा लोग आकर्षित होते हैं.
सरकार की चिंता यह है कि देश में बचत कम हो रही है. यानी लोग कम बचत कर रहे हैं. इससे सरकार को अपने लिए धन जुटाने में परेशानी हो रही है.