दिल्ली में घरों के ऊपर लगे मोबाइल टॉवरों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है जिनमें बहुत सारे नियमों को ताक पर रखकर खड़े किये गए हैं. हालही में जारी एक रिपोर्ट में बताया कि अकेले साउथ-दिल्ली में 66 फीसदी मोबाइल टॉवर अवैध है. मतलब हर 3 मोबाइल टॉवरों में 2 मोबाइल टॉवर गैर कानूनी हैं, जिनमें सरकारी अनुमति तक नहीं ली गयी है. और शायद साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन (SDMC) को ये मोबाइल टॉवर नजर भी नहीं आ रहे है जो इन सबको रेगुलेट करती है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट के अनुसार साउथ दिल्ली में 3,377 मोबाइल टॉवर हैं जिनमें 2,245 बिना किसी सरकारी अनुमति लिए ही हवा से बाते कर रहे हैं. इन अवैध मोबाइल टॉवरों में सिर्फ 40 मोबाइल टॉवरों को ही SDMC ने अब तक हटाया है. वहीं सूत्रों का कहना है कि बीते कुछ महीनों में अवैध मोबाइल टॉवरों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है.
नगरपालिका क्या कहती है?
SDMC की एक स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन राधे श्याम शर्मा ने बताया कि अब SDMC ने नोटिस भेजने का फैसला किया है. करीब 3,400 मोबाइल टॉवर साउथ दिल्ली में हैं और अभी सर्वे भी हो रहे हैं कि बीते महीनों में कितने टॉवर लगाये गए. जितने भी टॉवर नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए जायेंगे उनको पहले नोटिस भेजा जायेगा फिर भी अगर वो टॉवर नहीं हटाते हैं तो नगरपालिका उनकों सील कर देगी.
SDMC में विपक्ष के नेता फरहाद सूरी का कहना है कि SDMC में जबरदस्त भ्रष्टाचार व्याप्त है . SDMC के लोग मोबाइल टॉवर ऑपरेटरों से पैसे लेकर आपनी जेब भरने में लगे हुए है. SDMC को सारे अवैध मोबाइल टॉवरों को तत्काल हटाना चाहिए.
मोबाइल टॉवरों से खतरा?
मोबाइल टॉवरों को लेकर सबसे बड़ी चिंता साउथ दिल्ली की घनी आबादी वाले इलाकों को लेकर है जहां AIIMS और सफदरजंग हॉस्पिटल सरीखे कई हॉस्पिटल भी मौजूद हैं. बीते महीनों में रिहाइशी इलाकों में जम कर मोबाइल टॉवर लगाये गए हैं जो यहां रहने वाली एक बड़ी आबादी के लिए एक बड़ा खतरा है. अगर एक जगह पर तय सीमा से ज्यादा संख्या में मोबाइल टॉवर लगाएं जाते है तो इन टॉवरों से निकलने वाले रेडिएसन का खतरा बहुत बढ़ जाता है.