एक जुलाई से पूरे देश में सिंगल टैक्स सिस्टम के लिए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू करने की कवायद जोर शोर से चल रही है. देश की अर्थव्यवस्था में इसे आजादी के बाद का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म माना जा रहा है. लेकिन इस रिफॉर्म के बीच केन्द्र सरकार के लाखों कर्मचारियों को अलग चिंता सता रही है.
पहले नोटबंदी ने उन्हें सातवें वेतन आयोग से बढ़ा हुआ भत्ता नहीं लेने दिया. क्योंकि केन्द्र सरकार आर्थिक चुनौतियों के चलते कर्मचारियों के भत्ते पर कोई फैसला नहीं ले सकी. अब केन्द्रीय कर्मचारियों को डर है कि कहीं एक बार फिर केन्द्र सरकार देश के सबसे बड़े आर्थिक सुधार कार्यक्रम के चलते उनके भत्ते पर अपने फैसले को और न टाल दे.
गौरतलब है कि बुधवार को केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक होनी है. वहीं बीते हफ्ते वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने कर्मचारियों के भत्ते का मामला रखा था लेकिन दोनों नेताओं की विदेश यात्रा के चलते इसपर कोई फैसला नहीं हो सकता था.
केन्द्र सरकार में सूत्रों का दावा है कि बुधवार की कैबिनेट बैठक में यह मामला उठाया जा सकता है और इसपर कोई अंतिम फैसला लिया जा सकता है. हालांकि कयास यह भी लगाया जा रहा है कि बुधवार की कैबिनेट में 1 जुलाई से जीएसटी लॉन्च करना सबसे अहम मुद्दा रहेगा और ऐसे में मामले को कुछ और दिनों के लिए टाला जा सकता है.
जानें 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों में महंगाई भत्ते से जुड़ी 10 खास बातें:
1. केन्द्र सरकार के फॉर्मूले के मुताबिक महंगाई भत्ते पर 2 फीसदी की वृद्धि दी जाएगी जिसे 1 जनवरी 2016 से लागू किया जाएगा.
2. कर्मचारी यूनियनों का मानना है कि महंगाई भत्ता निर्धारित करने के लिए इंडस्ट्रियल वर्कर के लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स को बेंचमार्क मानना हकीकत से अलग आंकड़े देते हैं.
3. यूनियन के मुताबिक सीपीआई एक काल्पनिक आंकड़ा है क्योंकि लेबर ब्यूरो का आंकड़ा हकीकत से दूर रहता है.
4. महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए औसत सीपीआई आंकड़ा 4.95 फीसदी रहना चाहिए जिसे जनवरी 1 से दिसंबर 31, 2017 बेंचमार्क मानना चाहिए.
5. केन्द्र सरकार अक्टूबर में मंहगाई भत्ते में 2 फीसदी का इजाफा कर चुकी है और उसे जुलाई 2016 से लागू किया था जिससे अब वह सिर्फ 2 फीसदी का इजाफा और करने जा रही है. केन्द्र सरकार पिछले 12 महीने का औसत खुदरा महंगाई का आंकड़ा लेकर महंगाई भत्ता निर्धारित करता है.
6. वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी देने के बाद केन्द्र सरकार ने घोषणा की थी कि सभी कर्मचारियों को जनवरी 1, 2016 से बढ़ी हुई सैलरी और भत्ता मिलेगा लेकिन नोटबंदी लागू होने के बाद केन्द्र सरकार इस मुद्दे पर आखिरी फैसला लेने से कतरा रही है.
7. नोटबंदी का फैसला लेने के बाद मोदी सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों के भत्ते पर वेतन आयोग की सिफारिशों को देखने के लिए एक कमेटी गठित कर दी. इस कमेटी को वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का रास्ता तय करने के लिए भी कहा गया है.
8. सूत्रों के मुताबिक अशोक लवासा के नेतृत्व में बनी कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है. लेकिन केन्द्र सरकार कर्मचारियों को भत्ता देने में सक्षम नहीं है क्योंकि नोटबंदी से देश में कैश की किल्लत केन्द्र सरकार को भी परेशान कर रही है .
9. सातवें वेतन आयोग ने एचआरए में 138.71 फीसदी इजाफा किया है और अन्य भत्ते में 49.79 फीसदी की इजाफा करने का प्रस्ताव दिया है. पिछले कुछ महीनों के दौरान केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की यूनियन वित्त मंत्रालय पर जल्द से जल्द भुगतान करने के लिए दबाव बना रही है. कर्मचारी यूनियन अपनी मांग को लेकर स्ट्राइक पर जाने की बात कर रही है.
10. चुनाव आयोग के निर्देश और 5 राज्यों में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब केन्द्र सरकार कर्मचारियों के भत्ते पर कोई फैसले नहीं ले सकती. लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि अब केन्द्रीय कर्मचारियों को चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
7वां वेतन आयोगः भत्ते पर फैसले के 10 फायदे, बढ़ेगी महंगाई या दौड़ पड़ेगी अर्थव्यवस्था?