महंगाई और आर्थिक सुधारों की धीमी गति को लेकर आलोचाना झेल रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सप्रग ने अपना आर्थिक एजेंडा नहीं छोड़ा है और इस बारे में आगामी बजट में कुछ साफ तस्वीर देखने को मिलेगी.
इलेक्ट्रानिक मीडिया से बातचीत में सिंह ने कहा कि सरकार मुद्रास्फीति से निपटने की कोशिश कर रही है पर यह सावधानी भी बरत रही है कि आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को आघात न पहुंचे. उन्होंने विश्वास जताया कि मुद्रास्फीति मार्च तक 7 फीसदी से नीचे आ जाएगी और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसदी रहेगी.
उन्होंने कहा कि महंगाई के मामले में कच्चे तेल और खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमत जैसे वैश्विक कारक सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि गरीबों को बढ़ती महंगाई से बचाने के लिये रोजगार गारंटी योजना जैसे कार्यक्रमों के जरिये प्रयास किये जा रहे हैं. साथ ही राशन की दुकानों के जरिये सस्ता अनाज दिया जा रहा है. इन दुकानों के राशन का भाव 2002 से अब तक नहीं बढ़ाया गया है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘हम मुद्रास्फीति से इस रूप से निपटना चाहते हैं जिससे वृद्धि की रफ्तार धीमी नहीं हो. अगर हम केवल महंगाई दर को काबू में रखने को लेकर चिंतित हो तो हमें कड़ी मौद्रिक नीति अपनानी पड़ सकती है. इससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है जो हमारे देश के लिये अच्छा नहीं है.’
आर्थिक सुधार कार्यक्रम छोड़े जाने की अलोचना को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि आगामी बजट में सुधार एजेंडे की स्पष्ट तस्वीर देखने को मिलेगी.’ बहरहाल, उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबद्ध महत्वपूर्ण सुधार को लेकर विपक्षी दलों पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘विपक्षी विशेषकर भाजपा ने केवल विरोध का रुख अपना रखा है.’ जीएसटी लाने के लिये संविधान संशोधन विधेयक दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए. साथ ही कम से कम 15 राज्यों की इस पर सहमति होनी चाहिए. राजग शासित राज्य जीएसटी मौसेदे का विरोध कर रहे हैं. {mospagebreak}
बजट में बुनियादी ढांचा विकास के लिये बड़े कदम उठाये जाने का संकेत देते हुए मनमोहन ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि हम सार्वजनिक-निजी सहयोग के जरिये बुनियादी ढांचे में निवेश के मामले में एक नई तरंग पैदा करने जा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा विकास कोष पर चर्चा जारी है और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी इस दिशा में कुछ घोषणा कर सकते हैं.
सरकार ने आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को बनाये रखने के लिये 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 1,000 अरब डालर के निवेश का लक्ष्य रखा हैं.
यह पूछे जाने पर कि सरकार कहां से कोष जुटाएगी, प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें कंपनियों के ऋण-पत्रों (बांड) का बाजार विकसित करने की जरूरत है. मुझे लगता है कि इस दिशा में हमें निश्चित रूप से कदम बढ़ाना चाहिए.’ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट के बारे में उन्होंने कहा, ‘हमें विदेशों से बड़े पैमाने पर निवेश प्राप्त करने के लिये अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत है.’