भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समीक्षा से एक दिन पहले सोमवार को कहा कि महंगाई के ऊपरी स्तर पर रहने की संभावना बनी हुई है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि वह दरों में कोई कटौती फिलहाल नहीं करने जा रहा है.
आरबीआई ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर का अनुमान 7.3 फीसदी से बढ़ाकर 7.7 फीसदी कर दिया. इसके साथ ही उसने मौजूदा कारोबारी साल में देश की विकास दर का पूर्वानुमान घटाकर 5.7 फीसदी कर दिया, जिसे उसने पहले 6.5 फीसदी पर रखा था.
आरबीआई ने जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, 'विशेषज्ञों के बीच आरबीआई द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 2012-13 के लिए मध्य पूर्वानुमान विकास दर 6.5 फीसदी से घटाकर 5.7 फीसदी किया गया, जबकि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर बढ़ाकर 7.3 फीसदी से 7.7 फीसदी किया गया है.'
आरबीआई ने कहा कि मौजूदा कारोबारी साल की चौथी तिमाही से महंगाई दर में नरमी की उम्मीद है.
आरबीआई ने कहा, 'निकट भविष्य में महंगाई दर बढ़ने का जोखिम है, लेकिन 2012-13 की चौथी तिमाही से इसमें नरमी की उम्मीद है.'
मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही की समीक्षा से ठीक एक दिन पहले जारी दस्तावेज में आरबीआई ने कहा कि विकास में सुस्ती के साथ महंगाई का दबाव बढ़ने से स्थिति और खराब हो सकती है.
आरबीआई ने हाल में सरकार द्वारा की गई नीतिगत पहल की सराहना की, लेकिन कहा कि तेजी से अनुपालन जरूरी है.
इससे पहले सुबह में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने वादा किया कि मार्च 2017 तक वित्तीय घाटा घट कर आधा रह जाएगा और कहा कि हाल के सुधारात्मक उपायों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई को मौद्रिक नीति में नरमी बरतनी चाहिए.
हाल की तिमाहियों में भारतीय अर्थव्यवस्था का काफी धीमा विकास हुआ है. सरकारी आंकड़े के मुताबिक जनवरी-मार्च तिमाही में विकास दर 5.3 फीसदी और अप्रैल-जून तिमाही में यह 5.5 फीसदी रही.
आरबीआई 2012-13 की दूसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा मंगलवार को करेगा.
आरबीआई ने 17 सितंबर को मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा में नकद आरक्षी अनुपात को 0.25 फीसदी घटा कर 4.50 फीसदी कर दिया था, लेकिन रेपो दर को आठ फीसदी पर और रिवर्स रेपो दर को सात फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था.