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दिल्ली हवाई अड्डे को रियायती जमीन देने की आलोचना

दिल्ली हवाई अड्डे में यात्रियों पर विकास शुल्क लगाये जाने की आलोचना करते हुए कैग ने कहा कि नागर विमान मंत्रालय ने जीएमआर की अगुवाई वाली कंपनी डायल को 3,415 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा पहुंचाने के लिए निविदा संबंधी शर्तों की अनदेखी की. कैग ने इस मामले में जिम्मेदारी तय करने पर जोर दिया है.

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दिल्ली हवाई अड्डे में यात्रियों पर विकास शुल्क लगाये जाने की आलोचना करते हुए कैग ने कहा कि नागर विमान मंत्रालय ने जीएमआर की अगुवाई वाली कंपनी डायल को 3,415 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा पहुंचाने के लिए निविदा संबंधी शर्तों की अनदेखी की. कैग ने इस मामले में जिम्मेदारी तय करने पर जोर दिया है.

कैग ने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अपनी आडिट रिपोर्ट में कहा है कि डायल को उस जमीन से 60 साल में 1,63,557 करोड़ रुपये की आय संभावित है जो उसे 100 रुपये सालाना के पट्टे पर दी गई है.

इस रिपोर्ट को शुक्रवार को संसद में पेश किया गया. इसमें कहा गया है कि डायल को विकास शुल्क लगाने की अनुमति देना बोली प्रक्रिया की शुद्धता का उल्लंघन है और इससे इस निजी कंपनी को 3,415.35 करोड़ रुपये का अवांछित लाभ हुआ.

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दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) में जीएमआर इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर की 54 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कैग ने कहा है कि यह नोट किया गया है कि नागर विमान मंत्रालय तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकार ने कई मौकों पर सौदे दस्तावेजों के प्रावधानों का उल्लंघन रियायत पाने वाले के लिए किया.

कैग ने रिपोर्ट में कहा है कि हवाई अड्डा रियायत समझौते के प्रावधानों के विपरीत डालय को विकास शुल्क के रूप में वसूली गई राशि के इस्तेमाल की अनुमति परियोजना लागत की पूर्ति के लिए दी गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि परियोजना लागत का केवल 19 प्रतिशत हिस्सा ही इक्विटी से आया. लगभग 42 प्रतिशत हिस्सा रिण से आया. शेष परियोजना लागत सुरक्षा जमाओं और विकास शुल्क से पूरी की गई.

इसमें कहा गया है कि मंत्रालय तथा प्राधिकार ने परिचालन प्रबंधन विकास समझौते (ओएमडीए) के प्रावधानों का इस्तेमाल निजी कंपनी के पक्ष में तथा सरकार के हितों के खिलाफ किया.

फिलहाल दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाले तथा यहां उतरने वाले, दोनों तरह के यात्रियों को विकास शुल्क देना पड़ता है. घरेलू यात्रियों के लिए यह 220 रुपये से 520 रुपये तथा अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए 490 से 1200 रुपये के बीच है. कैग ने सरकार से बोली के बाद दी गई रियायतों के सारे मामलों की जांच करने तथा जवाबदेही तय करने को कहा है.

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