उद्योग मंडल फिक्की ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा तय स्पेक्ट्रम मूल्य को उपभोक्ता विरोधी करार देते हुए कहा है कि इसका दूरसंचार क्षेत्र पर गंभीर असर पड़ेगा. उद्योग मंडल ने सरकार से इस पर फिर विचार को कहा है.
फिक्की की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि यह कदम उपभोक्ता विरोधी है और इससे प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ेगा. इससे दूरसंचार कंपनियों को कॉल दरें महंगी करनी होंगी. साथ ही नई कंपनियां भी इस क्षेत्र में नहीं आएंगी, जिससे प्रतिस्पर्धा भी प्रभावित होगी.’
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 14,000 करोड़ रुपये तथा 800 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए 18,200 करोड़ रुपये के न्यूनतम मूल्य को मंजूरी दी गई.
हालांकि, दूरसंचार नियामक ट्राई द्वारा सुझाए गए मूल्य से यह 22 फीसद कम है. लेकिन पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में 2008 में नई कंपनियों को दिए गए स्पेक्ट्रम मूल्य से यह सात गुना अधिक है.
फिक्की ने कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा तय 2जी स्पेक्ट्रम की अनुचित रूप से बहुत उंची कीमत को देखकर उसे निराशा हुई है. उद्योग मंडल ने इसके साथ ही स्पेक्ट्रम इस्तेमाल के लिए सालाना शुल्क की सीमा को 3 से 8 प्रतिशत रखने के लिए भी सरकार की आलोचना की है.