वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बढ़ते सब्सिडी बोझ पर एक बार फिर चिंता व्यक्त करते हुये कहा इससे उनकी ‘रातों की नींद उड़ने लगी’ है. चालू वित्त वर्ष के दौरान खाद्यान्न, उर्वरक और ईंधन की खुदरा बिक्री पर सरकारी सहायता बजट अनुमान से एक लाख करोड़ रुपये अधिक हो जोने की आशंका व्यक्त की जा रही है.
बजट में 1,43,000 करोड़ रुपये सब्सिडी का अनुमान है जबकि वर्ष की समाप्ति तक इसमें एक लाख रुपये वृद्धि का अनुमान है. बढ़ता सब्सिडी बोझ और उसकी भरपाई की चिंता से वित्त मंत्री की रातों की नींद उड़ने लगी है.
उन्होंने कहा, ‘वित्त मंत्री के तौर पर जब मैं विभिन्न मदों में दी जाने वाली भारी सब्सिडी के बारे में सोचता हूं तो मेरी नींद उड़ जाती है. इसमें कोई शक नहीं.’
वित्त मंत्री लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और भंडारण पर आयोजित राज्यों के कृषि और खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. दो दिवसीय सम्मेलन प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून को अमल में लाने के बारे में राज्यों के साथ विचार विमर्श के लिये बुलाया गया है.
माना जा रहा है कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून के अमल में आने के बाद जहां एक तरफ खाद्यान्न की आपूर्ति बढ़ाने की जरुरत होगी वहीं दूसरी तरफ सरकार का सब्सिडी बोझ भी बढ़ेगा. राशन व्यवस्था और खाद्य सुरक्षा की बात करते करते वित्त मंत्री का ध्यान अचानक सब्सिडी बोझ की तरफ चला गया.
वित्त मंत्री 16 मार्च को 2012-13 का आम बजट पेश करेंगे. वित्त मंत्री ऐसे माहौल में यह बजट लायेंगे जब दुनिया में आर्थिक अनिश्चितता छाई है. देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार भी धीमी पड़ी है और राजस्व प्राप्ति तथा खर्च के बीच अंतर बढ़ रहा है.
इस साल राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.6 प्रतिशत रहने का बजट अनुमन है लेकिन माना जा रहा है कि यह एक प्रतिशत बढकर 5.6 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा. पेट्रोलियम सब्सिडी के साथ उर्वरक और खाद्यान्न सब्सिडी बढी है.