केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 4.4 मेगाहर्ट्ज से अधिक 2जी स्पेक्ट्रम रखने वाली कंपनियों के लिए एकमुश्त शुल्क को मंजूरी दे दी. यह शुल्क उतना ही होगा, जितना अगले सप्ताह होने वाली नीलामी में सामने आएगा.
बाजार के नए और पुराने खिलाड़ियों के लिए अवसर की समानता प्रस्तुत करने के लिए मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने इस शुल्क की सिफारिश की थी.
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि जीएसएम संचालकों को 4.4 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान करने के लिए कहा जाएगा और इसकी कीमत 12 नवंबर से शुरू होने वाली नीलामी से निर्धारित होगी. सीडीएमए संचालक परमिट की बची हुई अवधि के लिए 2.5 मेगाहर्ट्ज से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान करेंगे.
चिदंबरम ने कहा कि दूरसंचार विभाग सीडीएमए संचालकों के लिए मूल्य निर्धारण का प्रारूप मंत्रिमंडल को प्रस्तुत करेगा, क्योंकि सीडीएमए की नीलामी में बोली लगाने के लिए कोई संचालक मौजूद नहीं है इसलिए नीलामी से मूल्य निर्धारित नहीं हो पाएगा.
टाटा टेलीसर्विसेज और विडियोकॉन के स्पेक्ट्रम नीलामी से बाहर हो जाने के बाद अब सीडीएमए की नीलामी में बोली लगाने वाला कोई नहीं बचा.
सरकार ने जीएसएम तथा सीडीएमए के लिए दो नीलामी की योजना बनाई थी और दूरसंचार विभाग को शुल्क से 30,927 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान था.
6.2 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम रखने वाले संचालक जुलाई 2008 से लागू होने वाली कीमत का भुगतान करेंगे. जिन संचालकों के पास अधिकतम 4.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम ही है, उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा.
मंत्रिमंडल ने संचालकों को स्पेक्ट्रम साझा करने की अनुमति देने की मंत्रिस्तरीय समिति की सिफारिश को भी मंजूरी दे दी. मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र में विलय और अधिग्रहण पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के प्रावधन को भी समाप्त करने का फैसला किया.