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रुपये की मजबूती के कारण घट सकते हैं पेट्रोल के दाम

तेल कंपनियां इस माह के अंत तक पेट्रोल के दाम करीब 1.60 रुपये प्रति लीटर तक घटा सकती हैं.

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पेट्रोल पंप
पेट्रोल पंप

तेल कंपनियां इस माह के अंत तक पेट्रोल के दाम करीब 1.60 रुपये प्रति लीटर तक घटा सकती हैं. डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की आयात लागत कम हुई और पेट्रोल पर वह मुनाफे की स्थिति में आ गई हैं.

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बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के बाद से रुपया लगातार मजबूत होकर पांच माह के उच्च स्तर पर पहुंच गया है. रुपये की मजबूती से तेल कंपनियों का आयात सस्ता हुआ है, इससे उन्हें पेट्रोल की बिक्री पर मुनाफे की स्थिति में आने में मदद मिली है.

सार्वजनिक क्षेत्र की तीन पेट्रोलियम खुदरा कंपनियों में से एक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘एक अक्टूबर से पेट्रोल पर 1.60 रुपये प्रति लीटर का लाभ हो रहा है लेकिन हम चाहते हैं कि खुदरा मूल्य में कमी पर विचार करने से पहले ये चीजें स्थिर हो जाए.’

माना जा रहा है कि तेल कंपनियां गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों के समय पेट्रोल के दाम घटा सकती हैं . हालांकि, दाम घटाने के समय के बारे में कंपनियां फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहीं हैं. तेल कंपनियों को पेट्रोल पर तो लाभ हो रहा है लेकिन डीजल, खाना पकाने के गैस सिलेंडर और केरोसिन पर भारी नुकसान हो रहा है.

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इससे पहले, पेट्रोल की कीमत 24 जुलाई को संशोधित की गयी थी. उस समय इसमें 70 पैसे की वृद्धि की गयी थी जिससे दिल्ली में इसकी कीमत 68.48 रुपये प्रति लीटर हो गयी.

तेल कंपनियों को पेट्रोल पर मौजूदा मुनाफे की वजह रुपये में मजबूती है. अगस्त की दूसरे पखवाड़े में डॉलर के मुकाबले रुपया जहां 55.58 के स्तर पर था वहीं पिछले पखवाड़े यह 54.12 पर आ गया. रुपया फिलहाल मजबूत होकर 52.28 के स्तर पर आ गया है. इस स्थिति का कंपनियों को और लाभ मिलने की उम्मीद है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल की कीमत 126.11 डॉलर प्रति बैरल से कम होकर 122.31 डॉलर प्रति बैरल रह गयी है. इन सभी घटनाक्रमों से तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर लाभ हुआ है, हालांकि इससे पहले लागत से कम दाम पर पेट्रोल बेचने से कंपनियां 6,000 करोड़ रुपये का नुकसान भी उठा चुकी हैं.

सार्वजनिक क्षेत्र की विपणन कंपनियों हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल को दाम बढ़ने के बावजूद डीजल की बिक्री पर अभी भी प्रति लीटर 12 रुपये का घाटा हो रहा है. केरोसिन पर 35.63 रुपये लीटर और घरेलू रसोई गैस सिलेंडर पर 468.50 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है.

सूत्रों के अनुसार यदि यही रुख बना रहता है तो वित्त वर्ष के दौरान कंपनियों को 1,76,937 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा.

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