भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों द्वारा शासित राज्यों के विरोध के बीच केन्द्र ने संसद के आगामी बजट सत्र में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का मार्ग प्रशस्त करने वाला संविधान संशोधन विधेयक पेश करने के लिये दबाव बढा दिया है.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ हुई बैठक के बाद यह कहकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि ‘जीएसटी का मुद्दा पिछले चार साल से विचाराधीन है, अधिकतर राज्य विधेयक जल्द लाये जाने के पक्ष में हैं, इसलिये अब समय आगे कदम बढाने का है.’
मुखर्जी ने जीएसटी के लिये मार्ग प्रशस्त करने वाला संविधान संशोधन विधेयक लाने का मामला अब संसद पर छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि कार्यपालिका का विशेषाधिकार है वह विधेयक पेश करे जिसमें संविधान में संशोधन की मंजूरी मांगी जायेगी. उसके बाद यह संसद के अधिकार क्षेत्र में होगा कि वह इसके पक्ष अथवा विपक्ष में अपना मत दे. {mospagebreak}
इधर कांग्रेस शासित राज्यों ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों द्वारा शासित राज्यों पर मामले में राजनीति करने का आरोप लगाना शुरु कर दिया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस मामले में भाजपा शासित राज्यों के विरोध को बेवजह बताया है.
चव्हाण ने सवाल किया कि, ‘जब यूरोपीय देश मिलकर एक साझा बाजार और साझा मुद्रा अपना सकते हैं तब भारत में जीएसटी जैसी समान जीएसटी प्रणाली को क्यों नहीं लागू किया जा सकता.’ मुखर्जी ने कहा कि आज स्थिति यह है कि प्रत्येक राज्य में सामानों पर लगने वाला वैट, चुंगी तथा अलग-अलग तरह के कर लगाये जा रहे हैं.
जीएसटी के आने से पूरे देश में कर व्यवस्था समान हो जायेगी और सभी राज्य एक साझा बाजार की तरह होंगे जिसका लाभ व्यापार एवं उद्योग जगत को होगा. उद्योगों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को सस्ता माल मिलेगा. पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के अध्यक्ष डा. असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में दिल्ली में सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक हुई. {mospagebreak}
बैठक में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक का तीसरे मसौदे पर विचार विमर्श किया गया. बैठक में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता के अलावा 16 राज्यों के वित्त मंत्री उपस्थित थे जबकि 10 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका प्रतिनिधित्व किया.
केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बाद में समिति के सदस्यों से मुलाकात कर एक बार फिर जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक लाने में सहयोग मांगा. उन्होंने कहा कि चार साल से अधिक समय से जीएसटी मुद्दे पर राज्यों के साथ विचार विमर्श चल रहा है इससे स्पष्ट है कि देश अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाना चाहता है. जीएसटी के लिये संविधान संशोधन के तीसरे मसौदे में जीएसटी परिषद के गठन के बारे में निर्णय संसद पर छोड़ दिया गया है.
जीएसटी लागू करने के लिये संविधान में संशोधन आवश्यक है. क्योंकि कई कर राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हैं तो कुछ केवल केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में. संविधान संशोधन के जरिये इन्हें दोनों (केन्द्र और राज्य) के अधिकार क्षेत्र में लाने का मार्ग प्रशस्त किया जायेगा और इसके लिये केन्द्रीय स्तर पर एक जीएसटी परिषद बनाई जायेगी.