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PM ने कहा, पैसा पेड़ पर नहीं लगता है

डीजल के दाम में एक ही झटके में अब तक की सबसे बड़ी मूल्यवृद्धि और सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या सीमित करने के फैसले का बचाव करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो राष्ट्र पर 2,00,000 करोड़ रुपये की ईंधन सब्सिडी का बोझ पड़ता.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

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डीजल के दाम में एक ही झटके में अब तक की सबसे बड़ी मूल्यवृद्धि और सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या सीमित करने के फैसले का बचाव करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो राष्ट्र पर 2,00,000 करोड़ रुपये की ईंधन सब्सिडी का बोझ पड़ता.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपनी तेल जरूरत का 80 फीसद आयात करते हैं. पिछले चार साल में वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार तेजी आई है. हमने सारा बोझ आप पर नहीं डाला है, जिससे हम आपके हितों की रक्षा कर सकें.

सिंह ने कहा कि पिछले साल जून में डीजल, केरोसिन तथा एलपीजी कीमतों संशोधन न किए जाने की वजह से 1,40,000 करोड़ रुपये की तेल सब्सिडी का बोझ पड़ा था. अगर हम कदम नहीं उठाते तो इस साल यह आंकड़ा 2,00,000 करोड़ रुपये को पार कर जाता. इसके लिए पैसा कहां से आता, पैसा पेड़ पर नहीं लगता है.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि डीजल कीमतों में सिर्फ 5 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है, जबकि डीजल पर घाटे को पूरा करने के लिए 17 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि जरूरी थी.

सिंह ने कहा कि ज्यादातर डीजल का इस्तेमाल बड़ी कारों और एसयूवी में अमीरों तथा कारखानों तथा कारोबारियों द्वारा किया जाता है. उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार उन्‍हें सब्सिडी देने के लिए भारी राजकोषीय घाटा सहे.

उन्होंने कहा कि सरकार ने पेट्रोल पर करों में 5 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है जिससे इसमें मूल्यवृद्धि को रोका जा सके. हमने यह कदम इसलिए उठाया है जिससे स्कूटर और मोटर साइकिल चलाने वाले करोड़ों मध्यम वर्ग के लोगों को और चोट न लगे.

एलपीजी की सीमा तय करने के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि करीब आधे लोग वास्तव में छह या कम सिलेंडरों का इस्तेमाल करते है. हमने यह सुनिश्चित किया है कि वे प्रभावित न होने पाएं. अन्य को छह सब्सिडी वाले सिलेंडर फिर भी मिलेंगे लेकिन उन्‍हें अधिक सिलेंडरों के लिए उंचा दाम देना होगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मूल्यवृद्धि के बावजूद भारत में डीजल और एलपीजी पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान से सस्ते हैं. इस साल पेट्रोलियम उत्पादों पर सब्सिडी इन कदमों के बाद भी 1,60,000 करोड़ रुपये रहेगी.

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उन्होंने कहा कि यह राशि स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च की जाने वाली कुल राशि से भी अधिक है. हमने दाम और अधिक इसलिए नहीं बढ़ाए हैं क्योंकि मुझे उम्मीद है कि तेल कीमतों में गिरावट आएगी. उन्होंने कहा कि गरीबों के हितों की रक्षा के लिए के हमने मिट्टी के तेल का दाम नहीं बढ़ाया है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बढ़ोतरी के बाद भी डीजल आयातित मूल्य से 13.86 रुपये प्रति लीटर सस्ता बेचा जा रहा है. केरोसिन को लागत से 32.70 रुपये प्रति लीटर कम दाम पर बेचा जा रहा है. वहीं एलपीजी पर प्रति सिलेंडर लागत से 347 रुपये कम लिए जा रहे हैं.

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