भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वाणिज्यिक ऋण के लिए व्यवस्था में 17500 करोड़ रुपये उड़ेलने हेतु मंगवार को एक प्रमुख नीतिगत दर में 25 आधार बिंदु की कटौती की है.
आरबीआई ने यह कदम इस आशा के साथ उठाया है कि इससे महंगाई पर लगाम लगेगा, और विकास दर को बढ़ावा मिलेगा. नकदी आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में 25 आधार बिंदु की कटौती कर उसे मौजूदा के 4.5 प्रतिशत से 4.25 प्रतिशत कर दिया गया है.
नकदी आरक्षी अनुपात वह राशि होती है, जिसे वाणिज्यिक बैंकों को नकदी रूप में आरबीआई के पास जमा रखना पड़ता है.
ये बदलाव मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आरबीआई के गवर्नर डी. सुब्बाराव द्वारा मुंबई के मिंट मार्ग स्थित आरबीआई मुख्यालय में की गई मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा के दौरान किए गए.
सुब्बाराव ने मंगलवार को उठाए गए नीतिगत कदम के पीछे के तर्क के बारे में कहा, 'नकद आरक्षी अनुपात में कटौती, तरलता की संभावित तंग स्थिति के मद्देनजर पूर्व कार्रवाई के तहत की गई है.'
आरबीआई ने रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट वो दर होती है जिसपर आरबीआई बैंकों को लोन देता है.
रिवर्स रेपो रेट में भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. रिवर्स रेपो रेट वो दर होती है जिस दर पर आरबीआई बैंकों से कर्ज लेता है.