वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस धारणा को खारिज किया कि उनके मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक में ब्याज दर और अन्य मामले पर एक दूसरे के साथ विरोध है. साथ ही कहा कि वे एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि भारत में सरकार और केंद्रीय बैंक के भी वही संबंध है जो किसी भी अन्य देश की सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच होता है. सरकार हमेशा वृद्धि का पक्ष रखती है और केंद्रीय बैंक अपनी ओर से स्थिरता और मुद्रास्फीति पर लगाम की दलील देता है. यदि सरकार केंद्रीय बैंक के सामने वृद्धि को बढ़ावा देने का समर्थन करने की बात रखती है तब भी इसका मतलब यह नहीं है कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक एक दूसरे के विरोधी हैं.
चिदंबरम ने कहा कि हम अपनी बात रख रहे हैं, वृद्धि का पक्ष रख रहे हैं, मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने की बात कर रहे हैं और इसके बाद जो भी फैसला हो. उन्होंने कहा कि भारत में सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच का संबंध वैसा है जैसा कि किसी भी अन्य देश की इन दो संस्थाओं के बीच है.
चिदंबरम ने कहा कि आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव के साथ जब वह जी-20 देशों की बैठक के लिए मैक्सिको सिटी की यात्रा पर गए थे तो उन्होंने कई गवर्नरों और वित्त मंत्रियों से बात की थी और उनके संबंध भी बिल्कुल ऐसे ही हैं.
वित्त मंत्री द्वारा राजकोषीय घाटे का खाका तैयार करने और केंद्रीय बैंक की सरकारी खर्च से जुड़ी चिंता पर गौर करने के बावजूद रिजर्व बैंक ने 30 अक्तूबर को पेश मौद्रिक नीति की छमाही समीक्षा में ब्याज दरें नहीं घटाईं. रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि मुद्रास्फीति 7.45 फीसद पर है जो केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने के लिए बहुत उच्च स्तर है.