भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली को उम्मीद है कि ब्याज दर में कटौती होगी . जेटली ने रविवार को कहा कि गवर्नर रघुराम राजन से नीतिगत ब्याज दर कम किए जाने पर वैसी ही उम्मीद है जैसी आमतौर पर की जाती है.
2 जून को होने वाली द्विमासिक समीक्षा से अपनी उम्मीद के बारे में उन्होंने कहा, ‘मेरी अपेक्षा वही है, जो आपकी है.’ आरबीआई ने साल 2015 में अब तक अपनी नीतिगत ब्याज दर में दो बार कटौती की है. लेकिन बेमौसम बारिश से खाद्य कीमतों पर असर की आशंकाओं के बीच 7 अप्रैल को इस वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने दरों को पहले के स्तर पर बनाए रखा था.
इस समय रेपो दर 7.5 फीसदी और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) 4 फीसदी है. आरबीआई बैंकों को जिस दर पर नकदी उधार देता है वह रेपो दर कही जाती है. वहीं बैंकों की ओर से केंद्रीय बैंक के पास जमा पैसों का जो हिस्सा रखना होता है, उसे सीआरआर कहा जाता है.
इन कारणों से दरों में हो सकती है कटौती
-मुद्रास्फीति में नरमी और उम्मीद से कमतर वृद्धि से संकेत मिलता है कि आगे नीतिगत दरों में कटौती की जा सकती है,
-औसत से कम मॉनसून के कारण फसल उत्पादन प्रभावित होने का एक जोखिम बना हुआ है,
-खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में चार महीने के न्यूनतम स्तर 4.87 प्रतिशत पर आ गई जबकि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मार्च में पांच माह के न्यूनतम स्तर, 2.1 प्रतिशत पर आ गई,
-थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार छठे महीने अप्रैल में भी शून्य से नीचे रही,
- अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति ईंधन और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में गिरावट के चलते शून्य से 2.65 प्रतिशत नीचे नए न्यूनतम स्तर तक गिर गई.
इन वृहत-आर्थिक (मैक्रो-इकोनॉमिक) संकेतकों से आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन से मुख्य दरों में कटौती की सरकार और उद्योग जगत की अपेक्षाओं को बल मिलता है. इन सबके अलावा सरकार की ओर से किए जाने वाले ढांचागत सुधारों पर भी कटौती दर निर्भर करेगी.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक रिसर्च पेपर में कहा 'हमें रेपो दर में 2 जून या इससे पहले 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद है.' विश्लेषकों के मुताबिक ब्याज दरों में अगले दौर की कटौती मुख्यत: वृद्धि को गति देने कीआवश्यकताओं से प्रेरित होगी क्योंकि मुद्रास्फीति का दबाव कम है.
एसबीआई ने कहा 'हमें विश्वास है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की क्रय शक्ति में गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति का स्तर नीचे रहेगा. अगर मुद्रास्फीति के आंकड़े पांच प्रतिशत से कम रहते हैं तो नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की और कटौती की एक छोटी गुंजाइंश भी हो सकती है.'
भाषा से इनपुट