विनिवेश की प्रक्रिया से गुजर रही सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एअर इंडिया का कर्ज बढ़ता जा रहा है. इस बीच, नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया है कि आखिर क्यों एअर इंडिया की ये हालत हुई है.
हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक सस्ती विमानन सेवा की बढ़ती प्रतिस्पर्धा के अलावा ऊंची ब्याज दर का बोझ और परिचालन खर्च में इजाफे की वजह से एअर इंडिया पर कर्ज बढ़ा है. इसके अलावा रुपये की कीमत में गिरावट के कारण मुद्रा विनिमय पर प्रतिकूल प्रभाव की वजह से भी कर्ज में इजाफा हुआ है.
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पुरी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि एअर इंडिया पर 2016-17 में 48, 447 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो कि 2017-18 में बढ़कर 55,308 करोड़ रुपये और 2018-19 में 58, 255 करोड़ रुपये हो गया.
100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्लान पेश
हाल ही में तमाम विरोध के बावजूद सरकार ने एअर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्लान पेश कर दिया है. सरकार ने बीते सोमवार को इस बारे में प्रारंभिक जानकारी वाला मेमोरंडम जारी कर दिया.
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सरकार द्वारा जारी बिड डॉक्यूमेंट के मुताबिक एअर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल बोली जीतने वाली कंपनी को मिल जाएगा. फिलहाल, सरकार ने एअर इंडिया के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EoI) यानी अभिरुचि दिखाने के लिए 17 मार्च तक की डेडलाइन दी है.
एअर इंडिया के लिए संभावित बिडर्स
एअर इंडिया के लिए संभावित बिडर्स में टाटा समूह, हिंदुजा, इंडिगो, स्पाइसजेट और कई निजी इक्विटी कंपनियां शामिल हैं. एअर इंडिया की नीलामी में शामिल होने के लिए कई विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों से साझेदारी कर सकती हैं. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो टाटा ग्रुप इसकी बोली के लिए अपने प्लान को अंतिम रूप देने के बेहद करीब है. इसके लिए टाटा ग्रुप, सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिलकर बोली लगा सकता है.