कर्ज में डूबी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज अब दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है. दरअसल, बीते गुरुवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने जेट एयरवेज की दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया शुरू करने की याचिका को स्वीकार कर लिया.
देश में यह पहली बार है जब किसी घरेलू एयरलाइन कंपनी को इन परिरिस्थतियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि जेट एयरवेज दिवालिया घोषित होगी या नहीं, इस पर फैसला एनसीएलटी को लेना है. बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में कुल 26 बैंकों के एक समूह ने इस संबंध में याचिका दायर की है.
कंपनी के शेयर में तेजी
गुरुवार को दिवालिया प्रक्रिया की याचिका स्वीकार किए जाने की खबर के बाद जेट एयरवेज के शेयर में ऐतिहासिक तेजी दर्ज की गई. कई दिनों तक रिकॉर्ड निचले स्तर पर बने रहने के बाद कंपनी के शेयर मूल्य में 150 फीसदी की बढ़त देखने को मिली. यह किसी भी कंपनी के शेयर में दिन के कारोबार के दौरान आयी अब तक की सबसे बड़ी बढ़त है. बीएसई पर कंपनी का शेयर 27 रुपये पर खुला और अंत में 93.35 फीसदी बढ़कर 64 रुपये पर बंद हुआ.
एसबीआई चेयरमैन ने किया बचाव
इस बीच भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने बैंकों के जेट एयरवेज के खिलाफ एनसीएलटी में जाने के निर्णय का बचाव किया. उन्होंने कहा कि यह बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी के समाधान के लिए उनकी ‘आखिरी कोशिश’ है. उन्होंने कहा कि कर्जदाता जो कुछ भी कर रहे हैं, उसके पीछे ठोस कारण हैं। हर फैसला काफी सोच-विचारकर लिया गया है. एसबीआई चेयरमैन ने कहा, 'एविएशन सेक्टर में जेट एयरवेज दिवाला का पहला मामला है, जिसकी परख होगी. हमें यह देखना होगा कि यह किस तरह आगे बढ़ता है और कानूनी सिद्धांत किस तरह काम करता है.'
बता दें कि एसबीआई ने अपनी याचिका में स्टेट बैंक ने कंपनी पर 967 करोड़ रुपये का दावा किया है. बैंक ने बताया कि उसने कंपनी को 505 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी के रूप में और 462 करोड़ रुपये ओवरड्राफ्ट सुविधा दी थी. जेट एयरवेज पर 25 अन्य बैंकों का 8,500 करोड़ रुपये बकाया है. साथ ही कंपनी पर 23,000 कर्मचारियों और सैकड़ों वेंडरों का भी 13,000 करोड़ रुपये बकाया है.