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खत्‍म होने वाली है AGR पेमेंट की डेडलाइन, टेलीकॉम कंपनियां करेंगी भुगतान?

सरकार को एजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के भुगतान की डेडलाइन आज यानी 23 जनवरी को खत्‍म होने वाली है. ऐसे में अब देखना अहम है कि टेलीकॉम कंपनियां बकाये का भुगतान करती हैं या नहीं..

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टेलीकॉम कंपनियों पर 1 लाख करोड़ से अधिक का बकाया
टेलीकॉम कंपनियों पर 1 लाख करोड़ से अधिक का बकाया

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  • टेलीकॉम कंपनियों ने बकाये भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगा समय
  • अगले हफ्ते टेलीकॉम कंपनियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

बीते साल 24 अक्‍टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में एक बड़ा फैसला दिया. इस फैसले के तहत टेलीकॉम कंपनियों से सरकार के बकाये रकम (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) का भुगतान करने को कहा गया है. इसके साथ ही कोर्ट ने भुगतान की डेडलाइन भी तय कर दी थी. कोर्ट की ये डेडलाइन आज यानी 23 जनवरी को खत्‍म हो रही है. ऐसे में अब यह देखना अहम है कि टेलीकॉम कंपनियां क्‍या फैसला लेती हैं.  

टेलीकॉम कंपनियों की बढ़ेंगी मुश्किलें!

इस बीच, टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बकाये रकम के भुगतान के लिए अतिरिक्‍त समय मांगा है. बीते मंगलवार को कोर्ट ने इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई के लिए सहमति तो दे दी थी लेकिन 23 जनवरी की डेडलाइन को नहीं टाला. जाहिर सी बात है,  कंपनियों ने भुगतान नहीं किया तो टेलीकॉम डिपार्टमेंट कोर्ट की अवमानना की भी बात छेड़ सकता है.

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हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टेलीकॉम डिपार्टमेंट बकाये के भुगतान के लिए डेडलाइन के अगले दिन यानी 24 जनवरी तक का इंतजार करेगा. वहीं कंपनियां ये उम्मीद कर रही हैं कि टेलीकॉम डिपार्टमेंट उन पर पूरा बकाया चुकाने का दबाव नहीं डालेगा और इस मामले में कोर्ट के निर्णय करने तक का इंतजार करेगा.

वोडाफोन-आइडिया ने खड़े किए हाथ!

23 जनवरी तक बकाये भुगतान को लेकर वोडाफोन-आइडिया ने पहले ही हाथ खड़े कर दिए हैं. वोडाफोन-आइडिया की ओर से डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) को बताया गया कि वह बकाये भुगतान से से जुड़ी मॉडिफिकेशन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने का इंतजार करेगी. यहां बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों में सबसे अधिक भुगतान वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल को करनी है.

किस पर कितना बकाया?

वोडाफोन को 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक देने हैं, जबकि एयरटेल को 35,586 करोड़ रुपये देने हैं. इसके अलावा टाटा टेलीसर्विसेज को 14 हजार करोड़ और रिलायंस जियो को 60 हजार करोड़ रुपये देने हैं. सरकार ने कई गैर टेलीकॉम कंपनियों से भी बकाये भुगतान की मांग की है. इसमें गेल से 1.72 लाख करोड़ रुपये जबकि ऑयल इंडिया से 48 हजार करोड़ रुपये मांगे गए हैं. इसके अलावा पावर ग्रिड पर 22 हजार करोड़ रुपये का बकाया है.

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क्‍या है एजीआर ?

टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के बीच का ये विवाद 14  साल पुराना है. टेलीकॉम मिनिस्‍ट्री के डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) द्वारा कंपनियों से लिए जाने वाले यूजेज और लाइसेंसिग फीस को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) कहते हैं. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है.

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