अनिल अंबानी समूह में नई पीढ़ी आगे बढ़ रही है. एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी (एडीएजी) समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी के बेटे अनमोल और अंशुल अंबानी ने तत्काल प्रभाव से गैर कार्यकारी निदेशक के तौर पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में जॉइन किया है.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने एक बयान में कहा कि दोनों ने गैर कार्यकारी निदेशक की क्षमता से अतिरिक्त निदेशक के तौर पर जॉइन किया है. बयान में कहा गया कि दोनों अतिरिक्त निदेशक के तौर पर एजीएम की अगली बैठक में हिस्सा लेंगे. 28 वर्षीय अनमोल अंबानी 2014 में रिलायंस कैपिटल के साथ ही अन्य एडीएजी कंपनियों के बोर्ड में शामिल हुए थे. अनमोल ने ब्रिटेन के वारविक बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट में बीएससी की पढ़ाई की है.
वहीं 24 वर्षीय अंशुल अंबानी ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस से स्नातक किया है. उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की है. वह जनवरी 2019 से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रुप की अन्य कंपनियों के बोर्ड में हैं.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सैयद अता हसनैन को स्वतंत्र निदेशक के रूप में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में नियुक्त किया गया है. 66 वर्षीय हसनैन रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के बोर्ड में भी शामिल हैं.
गौरतलब है कि रिलायंस कैपिटल एसेट मैनेजमेंट एवं म्युचूअल फंड, पेंशन फंड, बीमा, वित्त, स्टॉक ब्रोकिंग, वित्तीय उत्पादों का वितरण, प्रॉपर्टी निवेश और कई अन्य वित्तीय सेवाओं के कारोबार में है.
क्या है कर्जमुक्त होने का कंपनी का प्लान
रिलायंस इंफ्रा 2020 तक पूरी तरह से कर्ज मुक्त होना चाहती है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कंपनी ने बताया है, 'रिजर्व बैंक के 7 जून, 2019 के सर्कुलर के मुताबिक रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कर्ज के समाधान के लिए अपने 100 फीसदी कर्जदाताओं से आईसीए किया है.'
ब्लूमबर्ग के अनुसार, समूह पर कुल 93900 करोड़ रुपये का कर्ज है. रिलायंस नवल ऐंड इंजीनियरिंग के ऊपर 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर करीब 17,800 करोड़ रुपये का कर्ज है. रिलायंस कैपिटल पर 38,900 करोड़ रुपये का कर्ज है. रिलायंस पावर पर 30,200 करोड़ रुपये का कर्ज है.
रिजर्व बैंक के सर्कुलर के मुताबिक रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की कर्ज समाधान योजना को 180 दिनों के भीतर लागू करना है. कंपनी ने भरोसा जताया है कि वह इसे समय सीमा के भीतर पूरा कर लेगी. कंपनी ने कहा है कि इसके लिए दिल्ली-आगरा टोल रोड कारोबार को 3,600 करोड़ रुपये में बेचा जाएगा. इस अकेली बिक्री से रिलायंस इन्फ्रा के कर्ज में करीब 25 फीसदी की कमी आएगी. कुल नौ सड़क परियोजनाओं का कारोबार बेचकर रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर कुल 9000 करोड़ रुपये जुटा सकती है.