घरेलू अर्थव्यवस्था में तेजी की सबसे बड़ी उम्मीद वित्त वर्ष 2017-18 में मोदी सरकार के मेगा इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रोजेक्ट्स से है. सबके लिए घर स्कीम, हाईवे, पोर्ट और एयरपोर्ट समेत 100 स्मार्ट सिटी को तेजी से आगे बढ़ाने का समय आ गया है. लेकिन सरकार के इस मेगा प्लान को जनता का क्या फायदा मिलेगा, फायदा मिलेगा भी या नहीं ये तो समय बताएगा लेकिन घरेलू स्टील कंपनियों ने इसके जरिए जमकर चांदी काट ली है क्योंकि बीते 5 महीनों से लगातार घरेलू बाजार में स्टील की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. खास बात ये है कि इन कंपनियों को फायदा पहुंचाने में सरकार का भी बड़ा रोल रहा. अब ऐसा जानबूझकर किया गया या स्टील कंपनियों ने सरकार को गुमराह किया, ये अलग सवाल है.
कैसे शुरू हुआ स्टील सेक्टर का खेल
घरेलू स्टील कंपनियां बीते तीन साल से चीन, कोरिया, ब्राजील, जापान और रूस द्वारा भारत में स्टील डंप किए जाने का खतरा दिखा रही थीं. कंपनियों का दावा था कि ये देश भारत में स्टील डंप कर घरेलू स्टील की कीमत गिर जाएगी. लिहाजा घरेलू स्टील कंपनियों के इस अलर्ट को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने मई 2017 में विदेशी कंपनियों द्वारा स्टील इंपोर्ट (47 तरह के स्टील प्रोडक्ट डंपिंग करने पर) पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा दी. यह ड्यूटी अगस्त 2016 से शुरू कर 5 साल के लिए लगाई गई. हालांकि इसके बाद घरेलू बाजार में स्टील की कीमत बेतहाशा भागने लगी और एंटी डंपिंग का प्रावधान पूरी तरह से विफल हो गया.
क्या है एंटी-डंपिंग ड्यूटी
दरअसल, एंटी-डंपिंग का प्रावधान घरेलू बाजार को सस्ते विदेशी उत्पाद से बचाने के लिए किया जाता है. लेकिन भारतीय स्टील सेक्टर में इस प्रावधान से जहां स्टील की कीमतें सामान्य बनी रहनी चाहिए थी, उसमें तेजी से इजाफा होने लगा.
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खासबात यह है कि एंटी डंपिंग ड्यूटी जब से लागू हुई, देश में विदेशी स्टील का आना लगातार जारी रहा. स्टील मंत्रालय के आंकड़ों (ज्वाइंट प्लांट कमेटी की रिपोर्ट) के मुताबिक अप्रैल-अगस्त 2017 के बीच स्टील इंपोर्ट में 15.9 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है.
अंग्रेजी अखबार डीएनए की पड़ताल के मुताबिक घरेलू स्टील कंपनियों ने सरकार पर दबाव बनाकर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगवाई. इस ड्यूटी का फायदा सिर्फ चुनी हुई कंपनियों को पहुंचा और उनका मुनाफा बढ़ गया. वहीं इस कदम से पूरे स्टील सेक्टर या अर्थव्यवस्था को कोई फायदा नहीं पहुंचा.
अब महंगे स्टील से पूरा होगा मेगाप्लान?
रिपोर्ट के मुताबिक इन चुनी हुई कंपनियों के दबाव में सरकार ने ड्यूटी लगाई लेकिन इसके बाद घरेलू बाजार में स्टील कंपनियों ने स्टील की कीमत में लगभग 20 फीसदी का इजाफा कर दिया. गौरतलब है कि देश में 50 फीसदी स्टील की खपत कंस्ट्रक्शन सेक्टर में होती है. वहीं दूसरे और तीसरे नंबर पर स्टील खपत मेकैनिकल मशीनरी और ऑटो सेक्टर में होती है.
ग्लोबल स्टील ट्रेड मॉनीटर के मुताबिक भारत लगभग 80 देशों से स्टील इंपोर्ट करता है. इनमें 27 फीसदी स्टील चीन से, 24 फीसदी कोरिया से और 17 फीसदी जापान से शामिल है.