scorecardresearch
 

26 जनवरी की परेड में पहली बार दिखेगी 'देसी बोफोर्स'

इस साल गणतंत्र दिवस परेड पर देखिए देसी बोफोर्स. पूरी तरह से देश में निर्मित भारत की लंबी दूरी मारक क्षमता वाली आर्टिलरी गन धनुष को पहली बार जनता के सामने लाया जा रहा है.

Advertisement
X
परेड में शामिल होगी देसी बोफोर्स
परेड में शामिल होगी देसी बोफोर्स

इस साल गणतंत्र दिवस परेड पर देखिए देसी बोफोर्स. पूरी तरह से देश में निर्मित भारत की लंबी दूरी मारक क्षमता वाली आर्टिलरी गन धनुष को पहली बार जनता के सामने लाया जा रहा है.

Advertisement

इस देशी बोफोर्स तोप को जबलपुर स्थित गन कैरेज फैक्ट्री में तैयार किया गया है. 155 एमएम इस बंदूक को बनाने में 14.50 करोड़ रुपये की लागत आई है. देश में सरहद की सुरक्षा में रीढ़ की हड़्डी मानी जा रही यह तोप दुनिया में किसी भी तोप का मुकाबला करने में सक्षम है.

निशाना साधने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के साथ इस तोप से 38 किलोमीटर दूर स्थित टार्गेट पर निशाना साधा जा सकता है. यह मारक क्षमता देश में आयात कर लाई गई बोफोर्स तोप से 11 किलोमीटर अधिक है. वहीं ऑर्डिनेंस फैक्ट्री इसके अगले वर्जन पर भी काम कर रही है जिससे इसकी मारक क्षमता में 4 किलोमीटर का और इजाफा कर 42 किलोमीटर किया जा सके.

इस स्टेट ऑफ आर्ट धनुष प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कई ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों, पीएसयू जैसे सेल, बेल और कई प्राइवेट सेक्टर कंपनियों ने एक साथ काम किया है.

Advertisement

स्वीडन की बोफोर्स कंपनी से 1980 के दशक में करार के बाद 12,000 पन्नों की डिजाइन पर लंबे रिसर्च के बाद कोलकाता स्तिथ ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने इसे विकसित किया.

हालांकि स्वीडन की इस कंपनी को अब ब्रिटेन स्थित बीएई सिस्टम ने खरीद लिया है जिसके चलते शुरू से किकबैक के विवादों में रही बोफोर्स डील में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को पूरा नहीं किया जा सका. इसके बावजूद इजराइली कंपनी सोलताम की मदद से इस तोप को बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया.

मौजूदा समय में भारतीय ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से 6 देसी बोफोर्स का निर्माण पूरा किया जा चुका है और फिलहाल सेना द्वारा अलग-अलग परिस्थितियों में इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा रहा है. अब सेना को कुल 114 ऐसी तोपों का इंजतार है जिससे वह देश की सरहद को सुरक्षित करने के लिए इस्तेमाल कर सके.

Advertisement
Advertisement