अनुच्छेद 370 के दो खंडों को निरस्त करने के फैसले के बाद सरकार ने अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा निवेश सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें देश के नामी-गिरामी कारोबारी हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन का आयोजन दशहरे के आसपास किया जाएगा, क्योंकि सरकार का मानना है कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने से इलाके में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. सरकार ने कहा कि प्रदेश के विकास के मार्ग में यह अनुच्छेद सबसे बड़ा बाधक था, क्योंकि इसके कारण कश्मीर के बाहर के लोग प्रदेश में जमीन-जायदाद में निवेश नहीं कर पाते थे. इस कारण उद्योगपति अपना कारखाना नहीं लगा पाते थे.
सरकार ने कहा कि यह अनुच्छेद राज्य में निजी या वैश्विक निवेश के मार्ग में बाधक था. अधिकारियों को उम्मीद है कि हालात जब सुधरेंगे और शांति बहाल होगी, तब लोगों को समझ में आएगा कि विशेष दर्जा समाप्त करना उनके हित में था.
गौरतलब है कि सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प सदन में पेश किया. उन्होंने कहा कि कश्मीर में लागू धारा 370 में सिर्फ खंड-1 रहेगा, बाकी प्रावधानों को हटा दिया जाएगा.
इसके अलावा नए प्रावधान में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन का प्रस्ताव भी शामिल है. उसके तहत जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा और लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया गया है. उसे भी केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है. हालांकि वहां विधानसभा नहीं होगी.
इस फैसले के साथ ही जम्मू-कश्मीर में प्रॉपर्टी के रेट में करीब 50 फीसदी के उछाल का अनुमान लगाया जा रहा है. दरअसल, मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारत में रहने वाला कोई भी नागरिक अगर चाहे तो वो जम्मू-कश्मीर में घर, प्लॉट, खेती की जमीन, दुकान वगैरह खरीद सकेगा. पहले केवल राज्य का निवासी ही संपत्ति को खरीद सकता था और भारतीयों को संपत्ति खरीदने पर रोक थी. इससे जम्मू-कश्मीर के रियल एस्टेट सेक्टर में जबरदस्त उछाल की उम्मीद की जा रही है.