अनुच्छेद 370 के दो खंडों को खत्म करने और राज्य को दो हिस्से में बांट देने के बाद अब सरकार केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के पैकेज देने की तैयारी कर रही है. इस बारे में जल्दी ही घोषणा की जा सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसकी घोषणा कर सकते हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की हालत बदतर है और सरकार का मानना है कि अनुच्छेद 370 की वजह से राज्य का विकास नहीं हो पाया. संसद में इस बारे में चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब सरकार की अगली प्राथमिकता जम्मू और कश्मीर का विकास हो सकती है.
इस आर्थिक पैकेज का लक्ष्य यह होगा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मुख्य भारत के साथ ज्यादा से ज्यादा एकीकृत किया जा सके. इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 नवंबर, 2015 को कश्मीर के विकास के लिए एक विकास एजेंडा घोषित किया था. तब ही पीएम मोदी ने राज्य के विकास के लिए 80,068 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया था, लेकिन इसका दो-तिहाई हिस्सा अभी तक खर्च नहीं हो पाया है. इसकी वजह यह है कि परियोजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाया.
अधिकारियों के मुताबिक मोदी सरकार कश्मीर को भारतीय उपमहाद्वीप के स्विट्जरलैंड जैसा बनाने की महत्वाकांक्षी सोच रखती है. इसके लिए कश्मीर के पर्यटन, बागवानी, रेशम पालन, फूड प्रोसेसिंग आदि सेक्टर की संभावनाओं का दोहन किया जाएगा. कश्मीर में इसके अलावा हस्तशिल्प और अन्य कम प्रदूषण वाले उद्योगों का भी विकास किया जाएगा.
इसके अलावा केंद्र सरकार सार्वजनिक कंपनियों से भी इन इलाकों में निवेश करने को कह सकती है. कंफडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के नामित अध्यक्ष उदय कोटक के मुताबिक सरकार और उद्योग जगत के मजबूत प्रयासों से राज्य में ग्रोथ रेट और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में मदद मिलेगी. राज्य में पनबिजली परियोजनाओं और सौर ऊर्जा के विकास का भी काफी अवसर है.
जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था अभी तक मुख्य रूप से केंद्रीय अनुदान पर निर्भर करती थी, जिसका योगदान यहां के कुल राजस्व के आधे से ज्यादा होता है. राज्य में पिछले पांच साल में 10 फीसदी की विकास दर देखी गई है, लेकिन यह बेस रेट काफी कम होने की वजह से है. राज्य की अर्थव्यवस्था खेती और सेवाओं पर निर्भर है.
राज्य के प्रमुख उद्योगों में पर्यटन, हस्तशिल्प, रेशम उत्पादन, हैंडलूम, बागबानी, फूड प्रोसेसिंग और कृषि है. हालांकि, राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद का महज 0.9 फीसदी उद्योगों पर खर्च किया जाता है. राज्य की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि सिर्फ कृषि उत्पादों और हस्तशिल्प तक सीमित है.