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बजट में क्या रेलवे की ये पांच तस्वीरें बदलेंगे वित्त मंत्री जेटली?

भारतीय रेल की ताजा हालत पर नजर डालें तो पांच ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें तत्काल दूर करने की आवश्यकता है. आजतक इस खबर के माध्यम से वित्त मंत्री अरुण जेटली से अपील करता है कि वे कम से कम भारतीय रेल की ये पांच तस्वीरें ही बदल दें...

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भारतीय रेल
भारतीय रेल

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बुधवार को मोदी सरकार साल 2017-18 के लिए बजट पेश करने जा रही है. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में बजट पेश करेंगे. इस बार रेल बजट भी आम बजट का ही हिस्सा होगा. आपको बता दें कि 1924 से रेल बजट अगल से पेश होता था.

इस बार देश को प्रभु की जगह जेटली से उम्मीदें हैं. उम्मीद है कि वे भारतीय रेल की तस्वीर बदलने के लिए कुछ खास योजनाएं लेकर आएंगे.

भारतीय रेल की ताजा हालत पर नजर डालें तो पांच ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें तत्काल दूर करने की आवश्यकता है. आजतक इस खबर के माध्यम से वित्त मंत्री अरुण जेटली से अपील करता है कि वे कम से कम भारतीय रेल की ये पांच तस्वीरें ही बदल दें...

वेटिंग टिकट
देश डिजिटल युग में प्रवेश कर चुका है. मोदी सरकार भी कैशलेस अर्थव्यवस्था पर जोर दे रहा है. लेकिन जब आप रेल का टिकट बुक करने बैठते हैं तो बहुत ही भाग्यशाली किस्म के लोगों के हाथ ही कंफर्म टिकट आता है. अधिकतर लोग वेटिंग टिकट ही बुक कर पाते हैं और यात्रा के अंतिम दौर तक पीएनआर स्टेटस चेक करते रहते हैं. इसके सुधार के लिए कुछ योजना रेलवे ने चलाई खासकर 'डायनमिक फेयर' और तत्तकाल टिकट.

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तत्काल टिकट पर लाख पाबंदियों के बावजूद आसानी से टिकट हासिल करना टेढ़ी खीर है जबकि डायनमिक फेयर प्रणाली में यह आसान है. लेकिन यह इतना महंगा है कि आम आदमी के लिए मुफीद नहीं लगता. जेटली आपसे अनुरोध है कि कोई ऐसी योजना लाएं कि आम आदमी भी इमरजेंसी में रेलवे की बेहतर सुविधा का इस्तेमाल कर सके.

भीड़
भारतीय रेल के माध्यम से देश में कहीब 2.5 करोड़ लोग प्रतिदिन सफर करते हैं. यही वजह है कि आप को रेल यात्रा के हर मौके पर भीड़ ही भीड़ देखने को मिलती है. सबसे पहले टिकट काउंटर पर, वेटिंग रूम में, ट्रेन में सवार होने के लिए (खासकर जनरल डिब्बे), फूड स्टॉल पर, पीने वाले पानी के लिए नलों तक लंबी-लंबी लाइन लगी रहती है. जेटली जी आप से अपील है कि कुछ ऐसा करें कि ये भीड़ कम हो जाए.

ट्रेन की अंदरुनी व्यवस्था
ट्रेन में आप चढ़ गए और अगर आप का टिकट वातानुकूलित श्रेणी का नहीं है तो आप सफर नहीं बल्कि 'सफर' करते हैं. वजह है पुराने डिब्बे, सीटों के नीचे गंदगी और गंदे टॉयलेट. आपको यहां यह भी बता दें कि भारतीय ट्रेनों में 1909 में पहली बार टॉयलेट का इस्तेमाल शुरू हुआ था.

स्टेशन
भारत के रेलवे स्टेशन (आईएसओ प्रमाणित कुछ स्टेशनों को छोड़) ऐसी जगह होती है जहां आप तभी जाना चाहेंगे जब आपकी मजबूरी हो. स्टेशन की पार्किंगों में गाड़ियों का और निकास-प्रवेश गेट पर जन समूह का कब्जा रहता है. इसके अलावा कोनों में जो गंदगी का अंबार लगा रहता है वह अलग. स्टेशन पर पूछताछ काउंटर पर लगे बोर्ड ठंड के दिनों में लोगों को हताश करते रहते हैं. इसके अलावा खाने-पीने की चीजों में भी यात्री खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. जेटली जी उम्मीद है कि आप रेलवे स्टेशनों की यह तस्वीर बदलने की भी कोशिश करेंगे.

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सुरक्षित रेल यात्रा
पिछले दिनों हुए ताबड़तोड़ रेल हादसों के बाद आमजन में 'असुरक्षित रेल' की छवि बनती नजर आई है. आमजन सोशल मीडिया पर अपील कर चुका है कि बुलेट ट्रेन से पहले सुरक्षित ट्रेन भारत में आए. इसके लिए रेलवे को ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

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