एसबीआई चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर पेनल्टी के प्रावधान को सही ठहराया है. उन्होंने कहा कि जनधन खातों पर आने वाले खर्च की भरपाई के लिए ऐसा करना जरूरी है. उन्होंने बताया कि फैसले पर दोबारा विचार के लिए सरकार से अभी तक कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है. ऐसा कुछ आया तो विचार हो सकता है.
एसबीआई ने क्या बनाया था नियम?
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने पांच साल के अंतराल के बाद एक बार फिर से बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना वसूलने का फैसला किया है. यह जुर्माना 1 अप्रैल से लागू होगा. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने इसके अलावा एटीएम सहित दूसरी सेवाओं के चार्ज में भी बदलाव किया है. एसबीआई के नए नियमों के अनुसार सेविंग अकाउंट्स में तीन बार कैश जमा कराना निशुल्क रहेगा. लेकिन इसके बाद हर कैश ट्राजैक्शन पर 50 रुपये का चार्ज और सर्विस चार्ज देना होगा. वहीं करंट अकाउंट के मामले में यह चार्ज अधिकतम 20,000 रुपये भी हो सकता है. एसबीआई के नए नियमों के अनुसार, अगर आप अपने बैंक खातों में निर्धारित मिनिमम ऐवरेज बैलेंस (एमएबी) नहीं रखते, तो हर महीने 100 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और इस पर आपको सर्विस टैक्स भी देना होगा.
कैसे लगेगा जुर्माना?
नए नियमों के अनुसार, एमएबी शुल्क बैंक शाखा की जगह के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. शहरी इलाके के खाताधारकों के खाते में अगर मिनिमम बैलेंस 5,000 रुपये का 75% होगी, तो उन्हें जुर्माने के रूप में 100 रुपये और उस पर सर्विस टैक्स देना होगा. वहीं अगर बकाया न्यूनतम राशि के 50 प्रतिशत अथवा उससे भी कम है तो ऐसी स्थिति में बैंक 50 रपये और सर्विस टैक्स वसूलेगा। तो ग्रामीण इलाकों के खाताधारकों के मामले में यह जुर्माना न्यूनतम रह सकता है.