प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग खत्म कर नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फोर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) का गठन किया है. इस आयोग के पहले उपाध्यक्ष मशहूर अर्थशास्त्री अरविंद पानागढ़िया को बनाया गया है.
अर्थशास्त्री बिबेक देबराय और डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख वीके सारस्वत को आयोग का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया है. अरविंद पानागढ़िया खुले बाजार को समर्थन देने वाले अर्थशास्त्री माने जाते हैं. उनके साथ ही नई संस्था के छह सदस्यों और तीन विशेष आमंत्रितों की भी नियुक्ति कर दी गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष होंगे.
केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुरेश प्रभु और राधा मोहन सिंह को आयोग का पदेन सदस्य तथा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, स्मृति जुबीन ईरानी और थावर चंद गहलोत को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है.
कौन हैं अरविंद पानागढ़िया?
62 साल के पानागढ़िया भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं. वह कोलंबिया विश्विद्यालय में प्रोफेसर हैं. वह एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और कालेज पार्क मैरीलैंड के अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र केन्द्र में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और सह-निदेशक रह चुके हैं. प्रिंसटोन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल करने वाले पानागढ़िया विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (एंकटाड) में भी विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं.
क्या करेगा नीति आयोग?
सरकार ने नीति आयोग के गठन की घोषणा एक जनवरी को की थी. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग केन्द्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकारों के लिए नीति निर्माण करने वाले संस्थान की भूमिका निभाएगा और बौद्धिक संस्थान की तर्ज पर काम करेगा. आयोग की एक संचालन परिषद होगी, जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और संघ शासित प्रदेशों के उप-राज्यपाल सदस्य होंगे. परिषद केन्द्र और राज्यों के साथ मिलकर सहयोगात्मक संघवाद का एक राष्ट्रीय एजेंडा तैयार करेगी.
नीति आयोग सरकार के एक बौद्धिक संस्थान की तरह काम करेगा. आयोग केन्द्र और राज्य सरकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्थिक मुद्दों सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर रणनीतिक और तकनीकी सलाह देगा. नीति आयोग के गठन की घोषणा करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया था, ‘नीति आयोग का गठन सशक्तिकरण और समता पर बल के साथ जनोन्मुखी, सक्रिय और भागीदारी के साथ विकास के सिद्धांतों वाले एजेंडा पर किया गया है. नीति आयोग के जरिये हमने विकास के मामले में बसको एक ही सांचे में ढालने के सिद्धांत को पीछे छोड़ दिया है. यह संस्था भारत की विविधता और बहुसंख्यकवाद के अनुरूप कार्य करेगी.’
भारत की विकास यात्रा में होगी अहम भूमिका: PM
पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि नीति आयोग आने वाले समय में भारत की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक सक्रिय संस्थान के तौर पर उभरेगी. विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर यह अहम जानकारी उपलब्ध कराएगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने पहले संबोधन में बदले आर्थिक माहौल में योजना आयोग के स्थान पर एक नया संस्थान बनाने की घोषणा की थी. सरकार ने इसके बाद मंत्रिमंडल के प्रस्ताव के तहत एक नई संस्था की स्थापना की घोषणा की. नई संस्था के गठन में महात्मा गांधी, बी.आर. अंबेडकर, स्वामी विवेकानंद और दीन दयाल उपाध्याय जैसे बड़े नेताओं के कथनों को भी उदृत किया गया है. पूर्व योजना आयोग का गठन भी तत्कालीन जवाहर लाल नेहरू मंत्रिमंडल के प्रस्ताव के तहत 15 मार्च 1950 को किया गया था.