नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. 31 अगस्त उनका इस पद पर आखिरी दिन होगा. कहा जा रहा है कि अरविंद पनगढ़िया वापस शिक्षा के क्षेत्र में जाना चाहते हैं. इस्तीफे के बाद अरविंद पनगढ़िया ने आज तक से कहा कि उन्होंने अपने इस्तीफे के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2 महीने पहले ही बता दिया था. उन्हें जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी से छुट्टी मिली थी, अब वह खत्म हो गई है.
#NitiAayog Vice-Chairman #ArvindPanagariya resigns; says he will return to academia, August 31 to be last day in office.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 1, 2017
क्यों अहम है नीति आयोग?
आपको बता दें कि मोदी सरकार के तीन साल में नीति आयोग का एक अहम रोल रहा है. अभी तक अपने कार्यकाल में मोदी सरकार द्वारा बदलाव की इस मुहिम का दारोमदार नीति आयोग को दिया गया जिसे सरकार ने योजना आयोग की जगह लेने के लिए स्थापित किया. इस नीति आयोग को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांस्फॉर्मिंग इंडिया (NITI) नाम देते हुए केन्द्रीय कैबिनेट ने 1 जनवरी 2015 को स्थापित किया था.
केन्द्र सरकार के लिए नीतियों का निर्माण करने के लिए नीति आयोग ने 3 अहम उद्देश्यों को सामने रखा था- डिजिटल इंडिया, कोऑपरेटिव फेडरलिज्म, महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाना, अर्थात 'नीति आयोग का उद्देश्य है ऐसे सुदृढ़ राज्यों का निर्माण करना जो आपस में एकजुट होकर एक सुदृढ़ भारत का निर्माण करें. राज्यों और केंद्र की ज्ञान प्रणालियां विकसित करना.'
कौन हैं अरविंद पनगढ़िया?
62 साल के पनगढ़िया भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं. वह कोलंबिया विश्विद्यालय में प्रोफेसर रहे हैं. वह एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और कालेज पार्क मैरीलैंड के अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र केन्द्र में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और सह-निदेशक रह चुके हैं. प्रिंसटोन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल करने वाले पानागढ़िया विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (एंकटाड) में भी विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं.