एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने भारत की जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान एकबार फिर घटा दिया है. बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर को 0.3 फीसदी घटाया है. उसके मुताबिक आने वाले समय में जीडीपी की वृद्धि दर 7 फीसदी की बजाय 6.7 फीसदी रहेगी.
नोटबंदी-जीएसटी जिम्मेदार
बैंक ने इसके लिए नोटबंदी और पहली छमाही में सुस्त विकास की रफ्तार को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही एडीबी ने जीएसटी की वजह से कारोबारियों को हुई दिक्कत को भी इसकी वजह माना है.
अगले वित्त वर्ष का जीडीपी आउटलुक भी बदला
एडीबी ने मौजूदा वित्त वर्ष के साथ ही अगले वित्त वर्ष की खातिर भी जीडीपी आउटलुक में बदलाव कर दिया है. मार्च, 2018 से शुरू होने वाले नये वित्त वर्ष के लिए एडीबी ने 7.3 फीसदी वृद्धि दर रहने का अनुमान लगाया है. पहले यह अनुमान 7.4 फीसदी का था. इसके लिए बैंक ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और निजी क्षेत्र में सुस्त निवेश को जिम्मेदार बताया है.
कृषि क्षेत्र का भी पड़ा असर
एडीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2017-18 की पहली तिमाही में विकास दर सुस्त रही. इसके साथ ही पिछले नंवबर में लागू की गई नोटबंदी का असर भी अर्थव्यवस्था पर पड़ा. जीएसटी के लागू होने के बाद कारोबारियों को इसकी कई चुनौतियों से जूझना पड़ा. इनके साथ ही कृषि क्षेत्र पर पड़े खराब मौसम के प्रभाव ने वृद्धि दर के अनुमान को घटाया है.
दूसरी तिमाही में बेहतर रही अर्थव्यवस्था
एडीबी ने एशियन डेवलमेंट आउटलुक (ADO) में कहा कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की मौजूदा वित्त वर्ष में सितंबर में खत्म हुए दूसरे क्वार्टर में 6.3 फीसदी रही. इससे पहली तिमाही में यह 5.7 फीसदी पर थी.
आगे होगा सुधार
हालांकि इसके साथ ही एडीबी ने 2017-18 के बची हुई दो तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर में सुधार होने का अनुमान लगाया है. बैंक के मुताबिक सरकार की तरफ से जीएसटी और कारोबारियों को इससे जुड़ी हो रही दिक्कतों को सरकार लगातार सुधार करने में जुटी हुई है. इसका फायदा वृद्धि दर में सुधार के तौर पर दिखेगा.
पहले भी घटाया अनुमान
इससे पहले भी एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने इस वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर के अनुमान में कटौती की थी. एडीबी ने भारत की जीडीपी की रफ्तार 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. यह बैंक के पूर्व में किए गए अनुमान से 0.4 फीसदी कम था. बैंक ने अगले वित्त वर्ष के लिए भी जीडीपी की विकास दर घटाई है. इसके लिए भी नोटबंदी और जीएसटी को जिम्मेदार माना जा रहा है.