देश के ऑटो सेक्टर की बदहाल हालत फिलहाल सुधरती नहीं दिख रही है. घरेलू यात्री कारों की बिक्री में गिरावट जारी है. जून महीने में इसमें 24.07 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिली. यही नहीं, कुल वाहनों की बिक्री में भी 17 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. इस सेक्टर पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, जीएसटी के कारण उच्च लागत, कम मांग और पर्याप्त नगदी कमी इसका मुख्य कारण है.
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (एसआईएएम) के अनुसार, घरेलू बाजार में यात्री कार की बिक्री जून 2018 के दौरान बेची गई 183,885 कारों के मुकाबले 139,628 कारों पर आ गई है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, अन्य यात्री वाहनों में भी भारत में बिकने वाले यूटिलिटी वाहनों की संख्या जून 2019 में 0.99 फीसदी घटकर 72,917 रह गई. पिछले महीने कुल 13,187 वैन बेची गई. इसमें जून-2018 के मुकाबले 18.7 फीसदी की कमी दर्ज की गई. कुल मिलाकर, यात्री वाहन की बिक्री जून में 17.54 फीसदी घटकर 273,748 वाहनों के मुकाबले 225,732 वाहन रह गई है.
पिछले कई महीने से आ रही गिरावट
ऑटो सेक्टर में गिरावट का सिलसिला पिछले कई माह से जारी है. देश की ऑटो इंडस्ट्री इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. दरअसल, पैसेंजर व्हीकल (PV) और कारों की बिक्री की वजह से इंडस्ट्री को लगातार झटका लग रहा है. हालात यह हैं कि देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी ने अपने प्रोडक्शन में भारी कटौती की है. ऑटो इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि अगर ऐसे ही हालात रहें तो नौकरियों पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं.
मई में भी कारों की बिक्री में गिरावट आई थी. सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी समेत चार सबसे बड़ी आटोमोबाइल कंपनियों ने कहा है कि मई में ऑटो सेल्स में 20 फीसदी की गिरावट आई है. ऐसा अर्थव्यवस्था में गिरावट के कारण हुआ है. मई में ऑटो इंडस्ट्री की होल सेल बिक्री में भी भारी गिरावट आई है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि बाजार में मांग की कमी है और स्टॉक भरे हैं.
इसके पहले पैसेंजर व्हीकल यानी यात्री वाहन की बिक्री में अप्रैल महीने में भी 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. यह अक्टूबर 2011 के बाद से अब तक की यानी पिछले आठ साल की सबसे बड़ी गिरावट थी. अक्टूबर 2011 में बिक्री में 19.87 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.