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बैंकों को लग चुका है 36 हजार करोड़ का चूना: रिपोर्ट

आंकड़ों के मुताबिक, 2017 वित्तीय वर्ष के पहले 9 महीनों में बैंकों के साथ एक लाख या इससे ज्यादा राशि की धोखाधड़ी के करीब 455 मामले ICICI बैंक में, 429 मामले SBI में, 244 मामले स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में और 237 मामले HDFC बैंक में सामने आए. वहीं, अप्रैल से दिसंबर 2016 के दौरान बैंकों से धोखाधड़ी करने के 3500 से ज्यादा मामले सामने आए थे.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कई हजार करोड़ों का चूना लगाने वालों में हीरा कारोबारी नीरव मोदी, शराब कारोबारी विजय माल्या, मेहुल चोकसी और विक्रम कोठारी जैसे बड़े कारोबारी ही शामिल नहीं है बल्कि IIM बेंगलुरू के एक अध्ययन के मुताबिक 2012 से 2016 बैंकों में जमा जनता की गाढ़ी कमाई के 22,743 करोड़ रूपये धोखेबाज उड़ा ले गए हैं.

इसमें हाल के घोटाले की राशि को शामिल कर लिया जाए तो यहां आंकड़ा 36 हजार करोड़ से ऊपर पहुंच जाता है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि पिछले साल 21 दिसंबर तक बैंकों के साथ धोखाधड़ी के 25,600 मामले सामने आए, जिनमें बैंकों को करीब 179 अरब रूपये की चपत लगाई गई.

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9 माह में धोखाधड़ी के 3500 मामले

आंकड़ों के मुताबिक, 2017 वित्तीय वर्ष के पहले 9 महीनों में बैंकों के साथ एक लाख या इससे ज्यादा राशि की धोखाधड़ी के करीब 455 मामले ICICI बैंक में, 429 मामले SBI में, 244 मामले स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में और 237 मामले HDFC बैंक में सामने आए. वहीं, अप्रैल से दिसंबर 2016 के दौरान बैंकों से धोखाधड़ी करने के 3500 से ज्यादा मामले सामने आए थे.

बैंकों के साथ धोखाधड़ी में बैंक कर्मी भी शामिल पाए गए हैं. सीबीआई ने 2011 में खुलासा किया था कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और IDBI जैसे बैंकों के कर्मियों ने करीब 10 हजार फर्जी खाते खोले और 15 हजार करोड़ रूपये के ऋण जारी किए.

कई मामले में केस दर्ज

रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में भी बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामले सामने आए थे जब मुंबई पुलिस ने 700 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी के मामले में 9 FIR दर्ज की थी, इसी वर्ष इलोक्ट्रोथर्म इंडिया कंपनी सेंट्रल बैंक को 436 करोड़ रूपये का भुगतान करने में नाकाम रही थी. इसके अलावा कोलकाता के उद्यमी बिपिन वोहरा ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के सहारे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 140 करोड़ रूपये हासिल किए थे.

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आईआईएम बेंगलुरू के अध्ययन के मुताबिक, 2015 में जैन इंफ्राप्रोजेक्ट के कर्मचारियों ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को करीब 200 करोड़ रूपये का चूना लगाया था. हैरत की बात यह है कि इसी वर्ष विभिन्न बैंक के कर्मचारी नकली हांग कांग कॉरपोरेशन बनाकर धोखाधड़ी में लिप्त पाए गए थे. इन लोगों ने मिलकर बैंक को करीब 600 करोड़ रूपये का चूना लगाया था.

अध्ययन में कहा गया, 2016 में सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी का मामले सबसे बड़े मामलों में से एक हैं, जिसमें चार लोगों ने मिलकर करीब 380 खाते खोले और फर्जी चेक, एलआईसी पॉलिसी और लेटर ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एलओयू) के माध्यम से बैंक को करीब 10 अरब रूपये का घाटा पहुंचाया.

फर्जी लेटर ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एलओयू) के बारे में बताते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और विख्यात अर्थशास्त्री डॉ. विजय कौल ने आईएएनएस को बताया, एलओयू किसी भी कारोबारी की कंपनी और उसके क्रेडिट स्कोर को देख कर बैंक की ओर से जारी किए जाते हैं और नीरव मोदी समेत सभी बड़े कारोबारियों को बैंक के अधिकारियों ने ही जारी किए. लेकिन, कारोबारियों ने बैंक के अधिकारियों को पैसा खिलाकर एलओयू हासिल किए जिसके नतीजे हमारे सामने हैं. उन्होंने कहा, 'बैंकिंग प्रणाली हमेशा विश्वास पर चलती है लेकिन यहां कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए जालसाजी करके बैंकों को चूना लगाया.'

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कारोबारियों ने लगाई चपत

बैंकों के साथ धोखाधड़ी मामले में सबसे अहम खुलासा तब हुआ जब 2017 में शराब कारोबारी और किंगफिशर विमानन कंपनी के मालिक विजय माल्या ने IDBI और दूसरे बैंकों को करीब 9,500 करोड़ रूपये का चूना लगाया और देश से भाग निकले. इसी वर्ष भारत की दूसरी कंपनी विनसम डायमंड सुर्खियों में आई. इस कंपनी पर करीब सात हजार करोड़ रूपये की देनदारी का मामला है. सीबीआई ने समूह के खिलाफ छह FIR दर्ज कीं.

इसके अलावा डक्कन क्रॉनिकल ने बैंकों को करीब 11.61 अरब करोड़ रूपये का नुकसान पहुंचाया. वहीं 2017 में कोलकाता के बिजनेस टाइकून निलेश पारिख को कम से कम 20 बैंकों को 22.23 अरब रूपये का नुकसान पहुंचाने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

वर्ष 2018 में हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) को करीब 11,450 करोड़ रूपये का चूना लगाया. मोदी ने PNB के अलावा 17 अन्य बैंकों से करीब तीन हजार करोड़ रूपये का ऋण ले रखा था. बता दें कि मोदी को पीएनबी ने करीब 150 एलओयू जारी किए थे.

आम लोगों पर असर नहीं

यह पूछने पर कि हीरा, शराब और जेम्स कारोबारियों द्वारा बैंकों के साथ धोखाधड़ी कर विदेश भाग जाने से देश की जनता पर बैंकों के प्रति कैसा प्रभाव पड़ेगा. विजय कौल कहा कि लोगों को पता है कि उनका पैसा सरकारी बैंकों में है और उसके पीछे सरकार का समर्थन है जिससे उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. इनके भागने से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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विजय कौल ने कहा, 'हां, लेकिन यह बैंकों के निजीकरण की मांग कर रहे लोगों के लिए जरूर एक बहुत बड़ा धक्का है क्योंकि अगर यहां भी अमेरिका जैसे विकसित देश की तरह बैंकों का निजीकरण हो जाएगा तो जैसा हाल (आर्थिक संकट) वहां 2007 में हुआ था ठीक वैसा ही भारत में देखने को मिलता'.

निवेश को इच्छुक विदेशी कारोबारी के मन नें इन घोटालों के कारण भारत की छवि के बारे में अर्थशास्त्री विजय कौल ने कहा, निवेशक के मन में भारत की छवि को लेकर इन घोटालों का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उन्हें यहां के हालात की जानकारी है और उन्हें पता है कि कहां निवेश करना बेहतर रहेगा.

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