मोदी सरकार ने बुधवार को एक ऐसा फैसला लिया जिसका असर करोड़ों बैंक खाताधारकों पर पड़ सकता है. दरअसल, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पब्लिक सेक्टर के तीन बैंकों के विलय को मंजूरी दे दी है. जिन बैंकों का विलय होने वाला है वो हैं- बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक हैं. इस विलय के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक वजूद में आएगा. इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक आते हैं. लेकिन सवाल है कि इन बैंकों के विलय का खाताधारकों पर क्या असर पड़ेगा. इस रिपोर्ट में हम आपको इसी सवाल का जवाब बताने जा रहे हैं.
बैंकों के विलय का मकसद क्या है?
इस विलय का मकसद भारतीय बैंकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाना है. सरकार का मानना है कि विलय के बाद इन बैंकों की संचालन क्षमता सुधरेगी. इसके अलावा लागत में कटौती आएगी और नया बैंक मौजूदा कई प्रतिस्पर्धी बैंकों को मात दे सकेगा. यह योजना एक अप्रैल, 2019 से अस्तित्व में आएगी.
किसको फायदा-किसको नुकसान?
सरकार के इस कदम का सबसे बड़ा फायदा देना बैंक को मिलने वाला है. दरअसल, देना बैंक फंसे कर्ज (एनपीए) के बड़े बोझ के कारण अभी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए) के दायरे में है. इसी वजह से इस बैंक पर कोई कर्ज देने को लेकर पाबंदी लगी हुई है. वहीं इसका नुकसान बैंक ऑफ बड़ौदा को उठाना पड़ सकता है. इन बैंकों के विलय को लेकर कुछ सालों पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी सवाल खड़े किए थे. उन्होंने जनवरी 2014 में एक लेक्चर के दौरान कहा था कि अगर हमने किसी बीमार बैंक का विलय किसी बड़े स्वस्थ बैंक के साथ कर दिया तो इससे विलय के वक्त बड़े स्वस्थ बैंक के लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
क्या बैंक ऑफ बड़ौदा का नाम भी बदलेगा ?
सरकार की ओर से इस बात के संकेत दिए गए हैं कि ब्रांड पहचान को कायम रखा जाएगा. यानी विलय के बाद भी बैंक ऑफ बड़ौदा का नाम बना रहेगा. इस विलय के बाद बनने वाले बैंक ऑफ बड़ौदा के पास कुल 9401 बैंक शाखाएं और कुल 13432 एटीएम हो जाएंगे.
क्या कर्मचारियों की नौकरी भी जाएगी?
बैंकों के विलय के बाद एक जो सबसे अहम सवाल है वो ये है कि क्या देना बैंक या विजया बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों की छंटनी होगी? तो इसका जवाब है - बिल्कुल नहीं. दरअसल, बुधवार को फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, " इस विलय से इन बैंकों के कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और विलय के बाद कोई छंटनी भी नहीं होगी."
कस्टमर हैं तो क्या असर पड़ेगा?
अगर आपका अकाउंट इन तीन बैंकों में से किसी में है तो आपको कुछ बदलावों का सामना करना पड़ सकता है. SBI के रिटायर्ड CGM सुनील पंत के मुताबिक अचानक कस्टमर पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन धीरे-धीरे बैंकों के चेकबुक, अकाउंट नंबर या कस्टमर आईडी में बदलाव संभव है. वहीं नए बैंक के अस्तित्व में आने के बाद आपको आपके खाते की नई केवाईसी करानी पड़ सकती है. लेकिन आपके लोन पर कोई असर नहीं पड़ेगा और न ही आपकी ईएमआई बदलेगी. वहीं पंजाब एंड सिंध बैंक के पूर्व चीफ जनरल मैनेजर जीएस बिंद्रा बताते हैं कि विलय के बाद बैंक शाखाओं के IFSC कोड बदल सकते हैं. इसके अलावा बैंक के कुछ ब्रांच बंद हो सकती हैं और कस्टमर्स को नई ब्रांच में जाना पड़ सकता है. हालांकि इन बदलावों पर आखिरी फैसला बोर्ड करेगी.
अगर आप इन बैंकों के कस्टमर हैं तो यह सुनिश्चित करें कि आपका ईमेल अड्रेस और मोबाइल नंबर बैंक के पास अपडेटेड है या नहीं. इसका फायदा ये होगा कि बैंक के किसी भी बदलाव के बारे में आपको तुरंत जानकारी मिल जाएगी.