सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई से 31 अगस्त तक बढ़ा दी है, लेकिन जल्द से जल्द आईटीआर दाखिल करना बेहतर है. इसके लिए सबसे पहले फॉर्म 16 और पैन कार्ड जैसे कुछ डॉक्युमेंट की जरूरत होती है. आइए जानते हैं आखिर फॉर्म 16 क्या होता है.
फॉर्म 16 हर एम्प्लॉयर द्वारा अपने कर्मचारी के लिए जारी किया जाता है. इससे इस बात की पुष्टि होती है कि एम्प्लॉयर ने कर्मचारी को वेतन का जो भुगतान किया है उस पर टीडीएस ( tax deducted at source) काटा गया है और उसे कर्मचारी की तरफ से आयकर विभाग के पास जमा कर दिया गया है. इसमें वह सभी जरूरी विवरण होता है, जिसकी आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के समय जरूरत पड़ती है.
वित्त वर्ष खत्म होने के बाद 15 जून तक हर एम्प्लॉयर को अपने कर्मचारियों को उनका फॉर्म 16 देना होता है. हालांकि, इस साल इसके लिए डेट बढ़ाकर 10 जुलाई कर दी गई थी. फॉर्म 16 में दो हिस्से होते हैं-पार्ट ए और पार्ट बी. यदि आपका फॉर्म 16 डिलीट या गायब हो गया हो तो आप अपने एम्प्लॉयर से उसकी डुप्लीकेट कॉपी मांग सकते हैं.
फॉर्म 16 का पार्ट ए
हर एम्प्लॉयर TRACES पोर्टल से कर्मचारी का फॉर्म 16 तैयार हासिल करता है और इससे कर्मचारी के टीडीएस और अन्य जानकारी की पुष्टि हो जाती है. यदि आपने एक वित्त वर्ष में नौकरी बदल ली है तो आपको दोनों नियोक्ताओं से फॉर्म 16 हासिल करना होगा, क्योंकि हर नियोक्ता कर्मचारी की नौकरी की अवधि के लिए फॉर्म 16 का पार्ट ए जारी करता है. फॉर्म 16 के पार्ट ए में निम्न ब्योरा होता है.
- एम्प्लॉयर का नाम
-एम्प्लॉयर के रजिस्टर्ड ऑफिस का पता
-एम्प्लॉयर का टैन (TAN) और पैन (PAN)
-कर्मचारी का PAN
- टीडीएस कटौती और तिमाही जमा का प्रमाणपत्र
-टीडीएस का मासिक विवरण
फॉर्म 16 का पार्ट बी
पार्ट बी फॉर्म 16 का अनुपूरक है. फॉर्म 16 के पार्ट बी में निम्न जानकारियां होती हैं.
- कर्मचारी के वेतन का विस्तृत ब्योरा (ब्रेकअप)
-उन भत्तों का विस्तृत ब्योरा जिनको धारा 10 की कटौतियों और टैक्स गणना के तहत टैक्स से छूट मिली हुई है.
वित्त वर्ष 2018-19 से फॉर्म 16 में निम्न प्रमुख बदलाव किए गए:
1. पार्ट बी के ब्योरे को ऑनलाइन हासिल करना: एम्प्लॉयर्स को पहले पार्ट बी खुद ही तैयार करना होता था या वे इसे थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर तैयार करते थे. लेकिन अब नियोक्ता इसे TRACES पोर्टल से डाउनलोड कर सकता है.
2. भत्तों और कटौतियों का गहराई से खुलासा: पहले नियोक्ता भत्तों और कटौतियों का फॉर्म 16 में एक समेकित विवरण डाल देता था. आयकर विभाग द्वारा नियमों में बदलाव के बाद अब नियोक्ता को कर्मचारी द्वारा सभी तरह के क्लेम किए गए डिडक्शन और हासिल भत्तों का पूरा विवरण देना होता है. यह बदलाव इसलिए किया गया ताकि वेतनभोगी टैक्सपेयर्स को फॉर्म 16 स्टैंडर्ड फॉर्मेट में मिल सके.
3.अन्य स्रोतों से आय का वर्णन: पहले एम्प्लॉयर को किसी कर्मचारी को अन्य स्रोतों से हासिल आय का विवरण नहीं देना होता था. लेकिन फॉर्म 16 का जो संशोधित फॉर्मेट आया है, उसमें 'अन्य स्रोतों' से हुई आय का भी खुलासा करना होता है.