देश की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी एयरटेल ने सरकार के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाये की एक और किस्त का भुगतान कर दिया है. एयरटेल की ओर से इस बार सरकार को 8004 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इससे पहले, एयरटेल ने 10 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया था. इस तरह एयरटेल ने करीब 36 हजार करोड़ के कुल बकाये में से 18,003 करोड़ रुपये सरकार को दे दिए हैं.
यहां बता दें कि हाल ही में मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारती एयरटेल पर भरोसा जताते हुए कहा था कि कंपनी में 5 अरब डॉलर के बकाये को चुकाने की वित्तीय क्षमता है. मूडीज के मुताबिक नकद भुगतान से भारती एयरटेल की कर्ज की गुणवत्ता पर कोई उल्लेखनीय प्रभाव नहीं पड़ेगा.
Bharti Airtel has deposited an additional Rs 8,004 crore towards adjusted gross revenue dues, to the telecom department.Earlier on 17th Feb,company had deposited Rs 10,000 cr aggregating to a total payment of Rs 18,004 cr now complied with AGR judgment&directions of Supreme Court pic.twitter.com/9q6bgvuiNP
— ANI (@ANI) February 29, 2020
क्या है मामला
दरअसल, एयरटेल समेत देश की तमाम टेलीकॉम कंपनियों पर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये का AGR बकाया था. इसमें वोडाफोन-आइडिया पर 53 हजार करोड़, टाटा टेलिसविर्सिज पर 13,800 करोड़ और बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ के अलावा एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपये का बकाया है. इस बकाये में वोडाफोन-आइडिया ने 3500 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. बता दें कि संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिए जाने वाले यूजेज और लाइसेंसिंग फीस को एजीआर कहते हैं.
डीसीसी ने नहीं मिली राहत
इस बीच, टेलीकॉम कंपनियों को डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) की ओर से कोई राहत नहीं मिली है. दरअसल, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि शुक्रवार को डीसीसी की अहम बैठक में संकट से गुजर रही टेलीकॉम कंपनियों को राहत देने के बारे में निर्णय लिया जा सकता है.
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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अगली बैठक में भी टेलीकॉम कंपनियों का एजेंडा शामिल नहीं है. एजेंसी सूत्रों के मुताबिक आयोग की बैठक में एजीआर चर्चा का विषय नहीं है बल्कि यह बैठक भारत नेट परियोजना में सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल लागू करने को लेकर है.