चीन को कारोबारी झटका देने की भारत सरकार की कोशिश लगातार रंग लाती दिख रही है. अब चीन से अपना कारोबार समेटने की इच्छुक 24 कंपनियां अपने मोबाइल फोन उत्पादन का कारखाना भारत में लगाने की तैयारी कर रही हैं.
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव और कोरोना वायरस संक्रमण से कंपनियां अपनी सप्लाई चेन को डाइवर्सिफाई करना चाहती हैं. यही वजह है कि ये कंपनियां चीन के बाहर सप्लाई चेन के विकल्प खोज रही हैं.
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1.5 अरब डॉलर के निवेश का वादा
ब्लूमबर्ग के अनुसार, सैमसंग और ऐपल जैसी दिग्गज कंपनियों के कई एसेंबली पार्टनर भारत आना चाहते हैं. इन कंपनियों ने भारत में मोबाइल फोन की फैक्ट्री लगाने के लिए 1.5 अरब डॉलर (करीब 11,222 करोड़ रुपये) के निवेश का वादा किया है.
इसके पहले चीन से अपना कारोबार समेटने जा रही कंपनियां वियतनाम, कंबोडिया, म्यांमार, बांग्लादेश और थाइलैंड की ओर भी रुख करने के बारे में सोच रही थीं, लेकिन भारत ने अब तत्परता दिखाते हुए इन कंपनियों को अपने यहां आने को प्रेरित किया है.
अरबों डॉलर का निवेश और लाखों को रोजगार
भारत सरकार का मानना है कि उसके प्रोडक्ट लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम (PLI) से देश में 153 अरब डॉलर की इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का उत्पादन हो सकता है और इससे 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिल सकता है.
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इस साल मार्च में सरकार ने देश में मोबाइल फोन और कुछ खास इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए इस स्कीम की शुरुआत की थी. इसके तहत भारत में बनी ऐसी वस्तुओं पर 6 फीसदी तक का इन्सेंटिव दिया जाता है. बाद में ऐसा ही इन्सेंटिव कई अन्य सेक्टर को भी दिया गया.
गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी ऐपल भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का विस्तार कर रही है. ऐपल की सप्लायर फॉक्सकॉन Foxconn भी भारत में 1 अरब डॉलर के निवेश की योजना बना रही है.