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शादियों के सीजन में बिजनेस का बजा बैंड, कोरोना से सबकुछ ठप

हर साल की तरह इस साल भी तमाम शादियां होनी थीं, कईयों की तैयारियां भी पूरी हो चुकी थी. टेंट से लेकर फॉर्म हाउस तक बुक हो चुके थे. लेकिन कोरोना ने सभी तैयारियों पर पानी फेर दिया.

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शादियों के सीजन पर लॉकडाउन की मार (Photo: File)
शादियों के सीजन पर लॉकडाउन की मार (Photo: File)

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  • लॉकडाउन की वजह से नहीं हो रही हैं शादियां
  • शादियां नहीं होने से टेंट-केटरिंग बिजनेस ठप
  • फरवरी से प्रभावित है टेंट और केटरिंग कारोबार

अप्रैल का महीना है, सड़कें सूनी पड़ी हैं, मार्च में भी कुछ ऐसा ही नजारा था. याद कीजिए, बीते वर्षों के मार्च-अप्रैल महीने को, हर किसी के घर या रिश्तेदारी में कई शादियां होती थीं. इस साल भी शादियां होनी थीं, कईयों की तैयारियां भी पूरी हो चुकी थी. टेंट से लेकर फॉर्म हाउस तक बुक थे. लेकिन कोरोना ने सभी तैयारियों पर पानी फेर दिया.

मई तक शादियों पर ग्रहण

दरअसल, कोरोना संक्रमण की वजह से फरवरी से लेकर फिलहाल मई तक के सभी आयोजन टल गए हैं, खासकर शादियां टल गई हैं. क्योंकि शादी-विवाह से लेकर बर्थ-डे पार्टी में पब्लिक गेदरिंग होती है, जिस पर सख्त पाबंदी है. ऐसे में जिन घरों में शादियां हैं, वो तो कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है, बस एक ही जवाब होता है कि सबकुछ ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं.

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फरवरी से मुश्किल में मंडप से लेकर केटरिंग बिजनेस

शादी के इस सीजन में जिस तरह कोरोना ने कहर बरपाया है. उससे हर रोज बड़ा आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. जिन घरों में शादियां हैं वो तो परेशान हैं ही, उनसे ज्यादा परेशान और तबाह वो टेंट, बारात घर, केटरिंग और फॉर्म हाउस वाले हैं, जिनका काम-धंधा पिछले 3 महीने से ठप है और कब शुरू होगा, इस माहौल में अनुमान लगाना भी मुश्किल है.

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सरकारी मदद की आस भी नहीं

खासकर दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में फरवरी से लेकर मई के बीच हर गली-चौराहे पर हर रोज डीजे और शहनाई की गूंज सुनाई पड़ती थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हैं. कोरोना खौफ की वजह से दिल्ली समेत पूरे देश में टेंट, बारात घर और केटरिंग जैसे बिजनेस तबाह हो गए हैं, और फिलहाल इनतक कोई सरकारी मदद भी नहीं पहुंच पाई है.

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दिल्ली में तमाम टेंट हाउस और केटरिंग वालों को अब एक-एक दिन भारी पड़ रहा है. इस कारोबार से देशभर में लाखों लोग जुड़े हैं जो पिछले करीब 3 महीने से बेरोजगार हैं, आगे भी हालात जल्द सुधरने के आसार नहीं हैं. दक्षिणी दिल्ली के कोटला मुबारकपुर इलाके के टेंट कारोबारी अनिल बत्रा का कहना है कि धंधा चौपट हो गया है, कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है.

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हमने उनसे पूछा कि दिक्कतें क्या है? फिर उन्होंने अगले दो मिनट कुछ अहम बातें बताईं, जिससे सुनकर लगा कि हकीकत में इनकी समस्या पर तो कोई चर्चा ही नहीं हो रही है. अनिल बत्रा कहते हैं, 'फरवरी के आखिर हफ्ते से जो बुकिंग कैंसिल का सिलसिला शुरू हुआ वो अब भी जा रहा है. मेरे यहां 22 लोग काम करते थे, जिसमें से 16 लोग काम नहीं होने की वजह से मार्च में ही घर चले गए, 6 स्टाफ को बिठाकर पैसे दे रहे हैं. लेकिन अब आगे कहां से पैसे देंगे, कमाई का जरिया बंद है.'

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अनिल बत्रा की मानें तो मार्च से मई तक कभी फुर्सत नहीं मिलती थी, बुकिंग की लाइन लगी रहती थी. खासकर शादियां खूब होती थीं. लेकिन अभी तो बर्थ-डे मनाना भी आफत है. इस साल भी बुकिंग हुई थी, लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से कुछ लोग एडवांस वापस मांग रहे हैं तो कुछ आगे की तारीख तय कर रहे हैं.

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उनका कहना है कि सरकार को अब हम लोगों के बारे में सोचना चाहिए, धीरे-धीरे ही सही कारोबार को शुरू करने की इजाजत देनी चाहिए. हालांकि वो मानते हैं कि इसका असर लंबा होगा, और अब नवंबर-दिसंबर में भी काम शुरू हो पाएगा कि नहीं, कहना मुश्किल है. अगला 6 महीना हमारे लिए बेहद कठिन रहेगा और हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

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वहीं दिल्ली के द्वारका में एक फॉर्म हाउस के मैनेजर अनिल कुमार का कहना है कि शादी के लिए अप्रैल में 8-9 बुकिंग मिली थी. लेकिन कोरोना संकट की वजह से लोग एडवांस वापस मांग रहे हैं. अब उन्हें पैसा कहां से वापस दें, उन्होंने जो पैसे दिए थे वो स्टाफ और केटरिंग वालों को हमने भी एडवांस कर दिया है.

अनिल की मानें तो मार्च से लेकर मई के बीच उन्हें कम से कम 45 दिन की बुकिंग मिलती थी. लेकिन इस बार कुछ भी उम्मीद नहीं है. 3 मई तक की सभी बुकिंग कैंसिल है, और आगे बुकिंग मिलने की उम्मीद भी नहीं है. उनका कहना है कि इसका असर नवंबर-दिसंबर की शादियों पर भी पड़ेगा.

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सभी तरह के आयोजन बंद होने से अनिल कुमार को 3 से 4 लाख रुपये महीने का नुकसान हो रहा है. वो बताते हैं, 'एक शादी को संपन्न कराने में कुल 150 लोग लगते हैं. जिसमें से 45 स्टाफ हमारे होते हैं, 45 में से अब 20 को घर बिठाकर पेमेंट कर रहे हैं. बाकी लोग बेरोजगार हो चुके हैं. हम भी आगे इन्हें पेमेंट कहां से देंगे, जब कारोबार ही बंद पड़ा है.'

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शादियां नहीं होने से फूल वाले, केटरिंग वाले, बग्घी वाले सबके सब बेरोजगार हो चुके हैं. आखिर में वो कहते हैं कि देखते हैं अब फिर कब वो दिन लौटकर आता है.

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