देश में आधार की सुरक्षा और प्राइवेसी के लिए इसके खतरे का आकलन करने को लेकर बहस छिड़ी हुई है. इसी बहस के बीच आधार को दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स बिल गेट्स का साथ मिला है. माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक ने कहा कि आधार और इसके लिए इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी से प्राइवेसी को कोई खतरा नहीं है.
इस दौरान बिल गेट्स ने बताया कि उनकी संस्था बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन आधार की इस टेक्नोलॉजी को दूसरे देशों तक पहुंचाने के लिए विश्व बैंक को फंड मुहैया करा रही है. 62 वर्षीय बिल गेट्स ने बताया कि इंफोसिस के उप-संस्थापक और यूआईडीएआई आधार की नींव रखने वाले नंदन नीलेकणि इस काम में विश्व बैंक की मदद कर रहे हैं.
क्या भारत में इस्तेमाल होने वाली आधार टेक्नोलॉजी को दूसरे देशों में ले जाना सही होगा? इस सवाल के जवाब पर बिल गेट्स ने कहा कि बिल्कुल. इससे फायदा होने की संभावना काफी ज्यादा है. बता दें कि देश में एक अरब से भी ज्यादा लोगों ने आधार लिया है. इस तरह से यह दुनिया का सबसे बड़ा बायोमैट्रिक आईडी सिस्टम बन गया है.
आधार को लेकर बात करते हुए बिल गेट्स ने कहा कि दूसरे देशों को भी आधार की संकल्पना को अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई देश इसे कितना जल्दी लागू कर सकता है, ये वहां के प्रशासन पर भी निर्भर करेगा. बता दें कि भारत के पड़ोसी देश समेत कुछ देशों ने आधार को अपने देश में लागू करने के लिए भारत सरकार से सहयोग मुहैया कराने के लिए कहा है.
आधार से प्राइवेसी को खतरे पर बिल गेट्स ने कहा कि आधार अपने आप में प्राइवेसी के लिए कोई खतरा नहीं है. क्योंकि यह सिर्फ एक बायोमैट्रिक आईडी वेरीफिकेशन स्कीम है. आपको यह देखना होगा कि इसमें क्या जानकारी संरक्षित की जा रही है. ऐसे में आपको इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी. इसका बेहतर प्रबंधन जरूरी है. उन्होंने कहा कि बैंक खातों के मामले में यह बखूबी मैनेज किया गया है.
जब गेट्स से पूछा गया कि आधार की संकल्पना मोदी सरकार से पहले की गई थी. इस पर उन्होंने कहा कि लेकिन इसका ज्यादा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है, क्योंकि वह लगातार इसे बेहतर बनाने में जुटे हुए हैं.