भारतीय रिजर्व बैंक के लोगों को डिजिटल मुद्रा बिटकॉइन के उपयोग को लेकर सचेत किए जाने के बावजूद रोजाना 2,500 से ज्यादा उपयोक्ता इसमें निवेश कर रहे हैं. एक घरेलू बिटकॉइन एक्सचेंज के अनुसार इसे डाउनलोड करने वालों की संख्या पांच लाख तक पहुंच गई है.
एप आधारित बिटकॉइन एक्सचेंज जेबपे ने बयान में कहा कि एंड्राइड मंच पर उसके डाउनलोड की संख्या पांच लाख से उपर पहुंच गई है और इसमें हर दिन 2,500 से ज्यादा इजाफा हो रहा है. कंपनी ने कहा कि यह लोगों के बीच बिटकॉइन की अधिक स्वीकार्यता को दर्शाता है.
क्या है डिजिटल करेंसी?
डिजिटल करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. इंटरनेट पर इस वर्चुअल करेंसी की शुरुआत जनवरी 2009 में बिटकॉयन के नाम से हुई थी. इस वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल कर दुनिया के किसी कोने में किसी व्यक्ति को पेमेंट किया जा सकता है और सबसे खास बात यह है कि इस भुगतान के लिए किसी बैंक को माध्यम बनाने की भी जरूरत नहीं पड़ती.
कैसे काम करती है डिजिटल करेंसी?
बिटकॉयन का इस्तेमाल पीयर टू पीयर टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इसका मतलब कि बिटकॉयन की मदद से ट्रांजैक्शन दो कंप्यूटर के बीच किया जा सकता है. इस ट्रांजैक्शन के लिए किसी गार्जियन अथवा सेंट्रेल बैंक की जरूरत नहीं पड़ती. बिटकॉयन ओपन सोर्स करेंसी है जहां कोई भी इसकी डिजाइन से लेकर कंट्रोल को अपने हाथ में रख सकता है. इस माध्यम से ट्रांजैक्शन कोई भी कर सकता है क्योंकि इसके लिए किसी तरह की रजिस्ट्रेशन अथवा आईडी की जरूरत नहीं पड़ती. इस माध्यम से ट्रांजैक्शन की तमाम ऐसी खूबिया है जो मौजूदा समय में कोई बैंकिंग ट्रांजैक्शन नहीं देती.
क्यों नोटबंदी से पॉपुलर हुआ बिटकॉयन
नोटबंदी से पहले ग्लोबल मार्केट में भारतीय रुपये से जुड़ा बिटकॉयन (यूनोकॉयन) महज 20 अमेरिकी डॉलर के आसपास था. लेकिन नोटबंदी के बाद नवंबर महीने में भारतीय बाजार से बिटकॉयन की मांग लगातार बढ़ी जिसके चलते बिटकॉयन मौजूदा समय भारतीय रुपये के सापेक्ष 70-100 अमेरिकी डॉलर पर ट्रेड कर रही है. फॉरेक्स मार्केट के जानकारों के मुताबिक भारतीय रुपये से जुड़े बिटकॉयन की कीमत में यह उछाल नोटबंदी के बाद भारतीय रुपये को बिटकॉयन में बदलने की कोशिशों के चलते हो सकती है.