भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने ट्वीट कर यह दावा किया था कि यूपीए सरकार ने उसे जो 9 लाख करोड़ रुपये के एनपीए या फंसे कर्ज विरासत में दिए थे, उनमें से 4 लाख करोड़ रुपये की बीजेपी सरकार ने वसूली कर ली है. लेकिन रिजर्व बैंक के आंकड़े कुछ अलग ही कहानी पेश कर रहे हैं. इसके मुताबिक पिछले चार साल में महज 29 हजार करोड़ की वसूली हो पाई है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बीजेपी के कुछ नेताओं ने शनिवार को ट्वीट कर यह दावा किया था कि, 'इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड' (IBC) की वजह से 4 लाख करोड़ के एनपीए की वसूली हुई है. यूपीए सरकार द्वारा कॉरपोरेट को दिया गया करीब 9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज एनपीए या फंसे कर्ज में तब्दील हो गया था, उसमें से ही यह वसूली की गई है.'
लेकिन रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2016-17 और 2017-18 (दिसंबर तक) में सार्वजनिक बैंकों ने महज 15,786 करोड़ रुपये की वसूली की है. इनमें आईबीसी सहित सभी माध्यमों से वसूली शामिल है. बैंकों ने आईबीसी के तहत जनवरी 2017 से वसूली शुरू की थी.
Due to structural reforms like Insolvency & Bankruptcy Code (IBC) initiated by @narendramodi govt, more than Rs.4 lakh crore which is about half of the staggering Rs.9 lakh crore worth of NPA’s or bad loans(all sanctioned during UPA era)have been recovered by banks till date. pic.twitter.com/J1uAfG6gJ1
— G.Kishan Reddy,MLA. (@kishanreddybjp) April 14, 2018
आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वित्तीय वर्ष (2014-2018) में 21 सार्वजनिक बैंक महज 29,343 करोड़ रुपये की वसूली कर पाए हैं. जबकि इस दौरान बैंकों ने 2.72 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया यानी राइटऑफ कर दिया.
रिजर्व बैंक के इन आंकड़ों की जानकारी खुद वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने राज्यसभा में 27 मार्च को दी थी. इस दौरान सार्वजनिक बैंकों की 89 फीसदी गैर निष्पादित संपत्ति यानी एनपीए की वसूली नहीं हो पाई और इन्हें बट्टे खाते में डालना पड़ा.
असल में आईबीसी के तहत आने वाले कर्जों के मामले में कर्जधारक को 180 दिन के भीतर मामले को सुलझाने और डेडलाइन को फिर आगे 90 दिन तक बढ़ाने का मौका मिलता है.