चीन की मंदी अब भारतीय बाजार के लिए संकट बन गई है. सोमवार को शेयर बाजार में ऐसी सुनामी आई कि सेंसेक्स धड़ाम से गिर गया. इस उथल-पुथल में निवेशकों के सात लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए. बाजार हाहाकार के साथ इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट 1600 से ज्यादा अंक लुढ़ककर बंद हुआ, हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली को भरोसा है कि आने वाले समय में बाजार में सुधार होगा.
बाजार में सोमवार को आई सुनामी ने दुनियाभर में निवेशकों से लेकर आम आदमी तक के जेहन में 6 साल पुरानी मंदी की याद ताजा करा दी है, लेकिन आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति फिलहाल मजबूत है. अमेरिका के वॉल स्ट्रीट में उथल-पुथल मचाने के बाद चीनी बाजार की मंदी ने अब भारतीय बाजार को भी हिला दिया है.
छुट्टी के बाद जैसे ही शेयर बाजार खुला कोहराम मच गया. सोमवार की सुनामी में सेंसेक्स ऐसा लड़खड़ाया कि बंद होने तक नहीं संभल पाया. सेंसेक्स 1624.51 अंकों की गिरावट के साथ 25,741.56 अंकों पर बंद हुआ. पहली बार इतनी बड़ी गिरावट के साथ सेंसेक्स बंद हुआ है. उधर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी 490.95 अंकों की गिरावट के साथ 7809 के स्तर पर पहुंच गया है.
क्या कहते हैं आंकड़े
इससे पहले 22 जनवरी 2008 को सेंसेक्स 2,272.93 अंक गिरा था. इससे एक रोज पहले 21 जनवरी 2008 को 2,062.20 अंकों की गिरावट आई थी. आंकड़ों के मुताबिक दलाल स्ट्रीट में 10 सबसे बड़ी गिरावट में सात मामले सोमवार को ही हुए हैं. इस आर्थिक सुनामी के पीछे जानकार तीन वजह बता रहे हैं.
- चीन के शेयर बाजार में 9 फीसदी तक की गिरावट
- अमेरिकी शेयर बाजार में चार साल की सबसे बड़ी गिरावट
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में भारी कमी
'वैश्विक बाजार है जिम्मेदार'
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट के लिए वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. उम्मीद है कि वर्तमान अस्थायी स्थिति का प्रभाव खत्म होते ही बाजार में स्थिरता आ जाएगी.
जेटली ने कहा, 'पिछले कुछ दिन से वैश्विक बाजार में बहुत अधिक उठापटक देखने को मिला है. स्पष्ट रूप से इसका भारतीय बाजार पर भी प्रभाव पड़ा. इसके कारक पूरी तरह बाहरी हैं. एक भी ऐसा घरेलू कारक नहीं है, जिससे बाजार में गिरावट हो या उससे गिरावट में इजाफा हो. कारण बाहरी हैं. मुझे तनिक भी संदेह नहीं है कि उठापटक की ये परिस्थितियां अस्थायी हैं. बाजार में स्थिरता लौटेगी.'
राजन ने बढ़ाया हौसला
शेयर बाजार के इस उथलपुथल में निवेशकों का करीब सात लाख करोड़ रुपये डूब चुका है, लेकिन आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन निवेशकों का हौसला बढ़ाने में पीछे नहीं हैं. वह कहते हैं, 'भारत की वृहद आर्थिक स्थिति अन्य देशों की तुलना में काफी मजबूत है और ऐसे में डरने की कोई जरूरत नहीं है. मैं बाजारों को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे वृहद आर्थिक कारक नियंत्रण में हैं और हमारी अर्थव्यवस्था औरों की तुलना में बहुत अच्छी स्थिति में है. देश के पास इस समय 380 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. जब और जैसी जरूरत पड़ेगी, इसका इस्तेमाल किया जाएगा.'
शेयर बाजार के काला सोमवार में एक वक्त ऐसा भी मौका आया, जब सेंसेक्स में 1741.35 अंकों की गिरावट दर्ज हुई. इंट्रा-डे गिरावट में ये तीसरी सबसे बड़ी गिरावट है.
सब्जी और खाने-पीने की चीजों की आसमान छूती मंहगाई. डॉलर के मुकाबले रुपये का टूटना और अब शेयर बाजार में उथल-पुथल. जनता तो सवाल पूछेगी ही कि अगर अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है तो फिर ये क्या हो रहा है?