पनामा पेपर्स के बाद काले धन को लेकर अब पैराडाइज पेपर्स में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है. 'पैराडाइज पेपर्स' में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं, जिनमें दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोगों के गुप्त निवेश की जानकारी दी गई है.
इन नामचीन हस्तियों में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई मंत्रियों, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो के मुख्य फंडरेजर के अलावा मोदी सरकार में मौजूदा विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा और बीजेपी के राज्यसभा सांसद रविंद्र किशोर (आरके) सिन्हा सहित 714 भारतीयों के नाम शामिल हैं.
वहीं जयंत सिन्हा ने सफाई देते हुए दावा किया है कि सितंबर 2009 में वह ओमिद्यार नेटवर्क से बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर जुड़े थे. वह दिसंबर 2013 तक ओमिद्यार नेटवर्क की तरफ से शामिल रहे, जिसके बाद जनवरी 2014 से नवंबर 2014 तक वह डि लाइट के स्वतंत्र निदेशक रहे. उन्होंने कहा कि मंत्री बनने से पहले उन्होंने यह कंपनी छोड़ दी थी और इससे मिली फीस व डि लाइट के शेयर पहले ही सार्वजनिक कर रखे हैं.
19 टैक्स हेवेन देशों से हासिल किए दस्तावेज"The documents speak for themselves." - ICIJ's director Gerard Ryle on our upcoming project. Sign up: https://t.co/NLua7AyzpH #PanamaPapers pic.twitter.com/T5PBDaqhFy
— ICIJ (@ICIJorg) November 5, 2017
पैराडाइज पेपर्स में उन विदेशी फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है, जो इन हस्तियों के पैसे विदेशों में भेजने में उनकी मदद करते हैं. ये दस्तावेज एक जर्मन अखबार जीटॉयचे साइटुंग ने टैक्स हेवेन के नाम से जाने जाने वाले 19 देशों से ये दस्तावेज हासिल किए और दुनिया भर के 90 मीडिया संस्थानों के साथ मिलकर खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम (ICIJ) ने इनकी जांच की.
पैराडाइज पेपर्स में 714 भारतीयों के भी नाम
इस कंसोर्टियम में शामिल अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, पैराडाइज पेपर्स में 180 देशों के लोगों की जानकारियां मिली हैं. इसमें पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज सहित दुनिया के 120 नेताओं के नाम भी हैं. अखबार के मुताबिक, यह बस शुरुआती खुलासा है और अभी ऐसे 40 से ज्यादा बड़े खुलासे और किए किए जाएंगे.
पैराडाइज पेपर्स ने 18 महीने पहले आए पनामा पेपर्स की याद एक बार फिर ताजा कर दी है, जिसने दुनिया भर में खूब हलचल मचाई थी. पनामा पेपर्स में नाम आने के कारण पाकिस्तान में नवाज शरीफ सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था.