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GST रिटर्न फाइलिंग: लेट फीस की छूट पर CBIC ने उठाए सवाल, कही ये बात

जीएसटी रिटर्न की लेट फीस पर दी गई छूट को लेकर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) का बड़ा बयान आया है.

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सीबीआईसी का बड़ा बयान आया है.
सीबीआईसी का बड़ा बयान आया है.

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  • मार्च महीने में सरकार ने कारोबारियों को दी थी राहत
  • 24 जून 2020 तक विलंब शुल्क से छूट दी गई थी

कोविड-19 संकट को देखते हुए मार्च महीने में सरकार ने एक अहम फैसला लिया था. दरअसल, 5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयों को फरवरी, मार्च और अप्रैल, 2020 के लिए जीएसटीआर-3बी रिटर्न 24 जून 2020 तक भर दिये जाने पर विलंब शुल्क से छूट दी गई थी.

सीबीआईसी ने दिया ये बड़ा बयान

अब इस फैसले को लेकर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने बड़ा बयान दिया है. सीबीआईसी ने कहा कि विलंब शुल्क से पूरी तरह छूट देना उन करदाताओं के प्रति अन्यायपूर्ण होगा, जिन्होंने फरवरी, मार्च और अप्रैल जीएसटी की बिक्री रिटर्न समयसीमा के भीतर भर दी है.

इसके साथ ही सीबीआईसी ने संबंधित पक्षों को स्पष्ट किया है कि विलंब शुल्क से छूट इस शर्त पर दी गई थी कि कर रिटर्न निर्धारित तिथि तक भर दिया जाएगा. आपको बता दें कि बिक्री रिटर्न फाइल करने की आखिरी तिथि महीने की 20 तारीख होती है. इसके बाद रिटर्न फाइल करने पर लेट फीस लगती है.

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12 जून को बैठक में भी मिली थी कई राहत

बीते 12 जून को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई थी. इस बैठक में एक अहम फैसला लेते हुए कहा गया कि अब 5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले छोटे कारोबारी रिटर्न दाखिल करने में देरी पर लगने वाला ब्याज आधा देंगे. अब इसकी दर नौ फीसदी रहेगी. ये नियम फरवरी, मार्च और अप्रैल के रिटर्न दाखिल करने के लिए लागू है. ब्‍याज पर छूट का लाभ तभी मिलेगा, जब सितंबर 2020 तक रिटर्न दाखिल कर दिए जाएंगे.

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इसके अलावा, मई, जून और जुलाई के लिए रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को भी सितंबर तक बढ़ा दिया गया है. इसके लिए कोई ब्याज या विलंब शुल्क नहीं लगेगा. वहीं, जुलाई 2017 से जनवरी 2020 के दौरान शून्य टैक्‍स देनदारी वाले पंजीकृत इकाइयों को जीएसटी रिटर्न देर से दाखिल करने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा.

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