ब्रिक्स की सातवीं बैठक में सभी पांचो देशों ने दुनिया में सुधारों की मंद हो रही चाल को लेकर चिंता व्यक्त की. विकसित दुनिया के देशों की मौद्रिक नीतियों को विकाशील देशों के लिए बेहद चिंताजनक बताया और कहा कि विकासशील देशों को विकसित देशों के फेडरल बैंकों से कड़ी टक्कर लेनी पड़ रही है.
'न्यू डेवलपमेंट बैंक'
वर्ल्ड बैंक और अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुकाबले ब्रिक्स देशों के सहयोग से बने 'न्यू डेवलपमेंट बैंक' (NIB) पर भी चर्चा हुई. ब्रिक्स देशों के घोषणापत्र में बताया गया कि यह बैंक निवेश परियोजनाओं को 2016 से शुरु करेगा. NIB से ब्रिक्स देशों के विकास में तेजी आने की उम्मीद जताई गई है. ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल है.
ब्रिक्स की चिंताए
ब्रिक्स देशों की बैठक में मौद्रिक नीति केंद्र में रही और इस पर विकसित देशों के रुख पर गहरी चिंता व्यक्त की गई. गौर रहे हल ही में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने भी लंदन में अपने एक भाषण में भी मौद्रिक नीति पर दुनिया के देशों को आगाह किया था. मौद्रिक निति के अलावा उफा में ब्रिक्स के घोषणापत्र में नाजी जर्मनी, फासीवाद और सैन्यवाद की हार की 70वीं वर्षगांठ का भी जिक्र किया गया है.
ब्रिक्स की उम्मीदें
ब्रिक्स देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने पर बल दिया और सभी पाचों देशों में विकास की दर को तेज करने पर भी बल दिया गया. ब्रिक्स देश दुनिया के 25 फीसदी भूभाग पर दुनिया की 40 फीसदी आबादी का नेतृत्व करते है. वहीं वैश्विक व्यापार में अभी सिर्फ 18 फीसदी की हिस्सेदारी है जिसे और बढ़ाने की योजनाओं पर जमकर चर्चा हुई. बीते 15 सालों में ब्रिक्स देशों की अर्थव्यवस्थओं के आकर में 225 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है.