नकदी संकट से जूझ रही सरकारी टेलिकॉम कंपनी भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) घाटा कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसी के तहत बीएसएनएल ने दूसरी कंपनियों को दिए गए कामकाज (आउटसोर्स) को तर्कसंगत बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की है. इससे बीएसएनएल को सालाना 200 करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है.
बीएसएनएल के चेयरमैन और एमडी पीके पुरवार ने कहा, ''हम अपने परिचालन खर्च की समीक्षा करेंगे और जहां भी संभव होगा इसमें कमी लाने का प्रयास करेंगे. अभी हम दूसरी कंपनियों को ठेके पर दिये गये कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं, जिससे इन्हें सुसंगत बनाया जा सके. हम देखना चाहते हैं कि इसमें से कितना कामकाज ‘इन-हाउस’ किया जा सकता है. कंपनी को उम्मीद है कि इससे सालाना 100 से 200 करोड़ रुपये की बचत की जा सकेगी.''
पुरवार के मुताबिक कंपनी की मासिक आय और व्यय (परिचालन खर्च और वेतन) के बीच का अंतर 800 करोड़ रुपये का है. इसके अलावा BSNL बिजली बिलों को भी तर्कसंगत बनाने का प्रयास कर रही है. इससे लागत में 15 फीसदी की बचत की जा सकेगी.
बता दें कि बीएसएनएल गंभीर नकदी संकट से जूझ रही है. इस वजह से कर्मचारियों को समय पर सैलरी नहीं मिल पा रही है. हाल ही में बीएसएनएल के कर्मचारियों को जुलाई की सैलरी 5 अगस्त को मिली है. यह करीब 6 महीने के भीतर दूसरी बार है जब कंपनी के कर्मचारियों के वेतन भुगतान में विलंब हुआ है. बीएसएनएल को मासिक वेतन के रूप में 850 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है. अभी बीएसएनएल के पास करीब 1.80 लाख कर्मचारी हैं.
अगर बीएसएनएल के सालाना घाटे की बात करें तो वित्त वर्ष 2017-18 में यह 7,992 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. इससे पहले 2016-17 में कंपनी का घाटा 4,786 करोड़ रुपये रहा. इस हिसाब से सिर्फ 1 साल में 3,206 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.