वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2012-13 का बजट पेश करते हुए आयकर छूट की सीमा मामूली रूप से बढ़ाकर राहत देने का प्रयास तो किया लेकिन सर्विस टैक्स को बढ़ाकर वो राहत वापस भी ले ली. जानें इस बजट में प्रणब दा ने क्या दिया और क्या लिया.
केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को संसद में पेश वर्ष 2012-13 के आम बजट में कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य तीव्रतर सतत और अधिक समावेशी विकास है. यह योजना 2012-13 के बजट प्रस्तावों से आरंभ होगी. वित्त मंत्री ने इस योजना की प्राथमिकताओं के अनुरूप पांच उद्देश्यों की पहचान की है जिन पर अगले वित्त वर्ष में कारगर ढंग से ध्यान दिया जाएगा.
ये उद्देश्य इस प्रकार हैं-
1. घरेलू मांग से अभिप्रेरित विकास पुनरूत्थान पर ध्यान केन्द्रित करना.
2. निजी निवेश में उच्च वृद्धि के तीव्र पुनरूत्थान के लिए स्थितियां पैदा करना.
3. कृषि, ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों, विशेषकर कोयला, विद्युत, राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे और नागर विमानन में आपूर्ति संबंधी बाधाएं दूर करना.
4. विशेष रूप से कुपोषण की समस्या से अत्यधिक ग्रस्त दो सौ जिलों में कुपोषण की समस्या से निजात पाने के लिए निर्णायक उपाय करना.
5. वितरण प्रणालियों, गवर्नेंस और पारदर्शिता में सुधार लाने और कालेधन तथा सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की समस्या से निपटने के लिए किए जा रहे निर्णयों के समन्वित कार्यान्वयन में तेजी लाना.
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 2011-12 की आर्थिक समीक्षा में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2011-12 के दौरान 6.9 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि यह वृद्धि कृषि में 2.5 प्रतिशत, उद्योग में 3.9 प्रतिशत और सेवाओं में 9.4 प्रतिशत होने का अनुमान है. पिछले दो वर्षों की तुलना में यह बड़ी गिरावट है जो मुख्य रूप से औद्योगिक वृद्धि विशेषकर निजी निवेश में गिरावट के कारण है. ऋण की बढ़ती लागत और कमजोर घरेलू कारोबारी माहौल ने इस गिरावट को और तेज किया. केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि अगले कुछ महीनों में समग्र मुद्रास्फीति कम होने की उम्मीद है और उसके बाद यह स्थिर हो जाएगी. मुखर्जी ने कहा कि समग्र मुद्रास्फीति वर्ष में अधिकांशत: ऊंची बनी रही. दिसंबर 2011 में यह घटकर 8.3 प्रतिशत रह गई और जनवरी 2012 में 6.6 प्रतिशत पर आ गई.
वित्त मंत्री ने कहा कि मासिक खाद्य मुद्रास्फीति फरवरी 2010 में 20.2 प्रतिशत से घटकर मार्च 2011 में 9.4 प्रतिशत रह गई. जनवरी 2012 में यह ऋणात्मक हो गई. हालांकि फरवरी 2012 में मुद्रास्फीति कुछ बढ़ी है. भारत में मुद्रास्फीति मुख्यत: संरचनात्मक है. यह मुख्य रूप से कृषि संबंधी आपूर्ति की अड़चनों और वैश्विक लागतों में वृद्धि से प्रभावित होती है. मुखर्जी ने कहा कि खाद्य आपूर्ति प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने हेतु वितरण, भंडारण और विपणन व्यवस्था की खामियों को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों से मुद्रास्फीति के कारगर प्रबंध में मदद मिली है और खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट आई है.
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने आम बजट में कहा कि सरकार ने 2012-13 से खाद्य से संबद्ध सब्सिडियां और खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने के लिए पूरी व्यवस्था करने का निर्णय लिया है. मुखर्जी ने कहा कि अन्य सभी सब्सिडियों को उस सीमा तक वित्तपोषित किया जाएगा. जहां तक वे अर्थव्यवस्था में बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के बनी रह सकें. वर्ष 2012-13 में पूरा प्रयास किया जाएगा कि केन्द्रीय सब्सिडियों पर होने वाले व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत से नीचे लाया जाएगा. अगले तीन वर्षों में इसे और घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के 1.75 प्रतिशत पर लाया जाएगा.
सरकार ने आईटी नीति से संबंधित नंदन नीलकणि की अध्यक्षता वाले कार्यबल की इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है कि सब्सिडी का सीधा अंतरण किया जाए. इनके आधार पर मोबाइल आधारित उर्वरक प्रबंध प्रणाली तैयार की गई है जिसे 2012 में पूरे देश में लागू किया जाएगा. उर्वरकों के दुरूपयोग में कमी और सब्सिडियों पर व्यय कम करने के उपायों से 12 करोड़ किसान परिवारों को लाभ होगा.
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि राज्य के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क की संरचना को मंजूरी दे दी है. यह नेटवर्क राष्ट्रीय सूचना उपयोगिता केन्द्र के रूप में स्थापित किया जाएगा और अगस्त 2012 से काम करना शुरू कर देगा. वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क सभी राज्यों के लिए साझेदारी के आधार पर समान पैन आधारित पंजीकरण, विवरणीय दर्ज करना और भुगतान प्रोसेसिंग को लागू करेगा.
मुखर्जी ने कहा कि पैन का उपयोग प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष करों के लिए समान पहचानकर्ता के रूप में किया जाएगा जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और कर चोरी बंद होगी.
सरकार ने बचतकर्ताओं तथा निवेशकों के बीच अधिक सक्षम बाजार मध्यस्थता के उद्देश्य के मद्देनजर वित्तीय क्षेत्र में सुधार किए हैं. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि बचत को प्रोत्साहन देने और घरेलू पूंजी बाजार की संरचना में सुधार के लिए राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना नाम से नई योजना शुरू करने का प्रस्ताव है. इस योजना के तहत नये खुदरा निवेशकों को 50 प्रतिशत की आयकर कटौती की अनुमति दी जाएगी जो 50 हजार रूपये सीधे इक्विटी में निवेश करेंगे और जिनकी आय दस लाख रूपये सालाना से कम होगी. मुखर्जी ने कहा कि इस योजना के तहत तीन वर्ष से पहले पैसे नहीं निकाले जा सकेंगे. योजना का ब्यौरा शीघ्र घोषित किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने पूंजी बाजार में सुधारों की गति तेज करने के लिए निम्नलिखित उपायों का प्रस्ताव किया है:
1. पात्र विदेशी निवेशकों को भारतीय कार्पोरेट बॉण्ड बाजार में निवेश की अनुमति प्रदान करना.
2. प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) जारी करने की प्रक्रिया सरल बनाना, उनकी लागत कम करना तथा कंपनियों को छोटे कस्बों में अधिक खुदरा निवेशकों तक पहुंच बनाने में मदद करना. कंपनियों के लिए ये अनिवार्य करने का प्रस्ताव है कि वे स्टॉक एक्सचेंजों के राष्ट्रव्यापी ब्रोकर नेटवर्क के जरिए इलेक्ट्रोनिक रूप में 10 करोड़ रुपये तथा अधिक की राशि के आईपीओ जारी करें.
3. शेयरधारक की वोटिंग संबंधी मौजूदा प्रक्रिया के अलावा इलेक्ट्रोनिक वोटिंग सुविधाओं के जरिए कंपनियों के महत्वपूर्ण निर्णयों में शेयरधारक की व्यापक भागीदारी के अवसर उपलब्ध कराना, जिसे प्रारंभ में शीर्ष सूचिबद्ध कंपनियों के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा.
4. उच्चतम सीमा के अधीन भारतीय पूंजी बाजार में अपेक्षाकृत अधिक विदेशी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय डिपोजिटरी प्राप्तियों में दोतरफा समरूपता की अनुमति देना.
प्रणब मुखर्जी ने बैंकिंग सुविधाएं बढ़ाने के लिए ‘स्वाभिमान’ अभियान का विस्तार करने का प्रस्ताव किया है. दो हजार से ज्यादा आबादी वाली बस्तियों में बैंकिंग सुविधाएं बढ़ाने के लिए 2010-11 में ‘स्वाभिमान’ अभियान शुरू किया गया था. मार्च 2012 तक 73 हजार बस्तियों में से लगभग 70 हजार बस्तियों को बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हैं. इसके साथ ही 2 करोड़ 55 लाख से अधिक लाभार्थियों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं. वर्ष 2012-13 में पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों की एक हजार से अधिक आबादी वाली बस्तियों तथा 2011 की जनगणना के अनुसार दो हजार से अधिक की आबादी वाली अन्य बस्तियों में भी ‘स्वाभिमान’ अभियान चलाने का प्रस्ताव है.
वित्त मंत्री ने आशा प्रकट की कि शेष बस्तियों को भी 31 मार्च, 2012 तक बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि अगले कदम के रूप में इन इलाकों में बहुत छोटी-छोटी बैंकिंग शाखाएं खोली जा रही हैं. यहां बिजनेस सहायकों की मदद से नकद लेनदेन किया जा सकेगा.
प्रणब मुखर्जी ने नाबार्ड सहित सरकारी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के पूंजीकरण के लिए 15,888 करोड़ रूपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है. मुखर्जी ने कहा कि केन्द्र, सरकारी क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की वित्तीय दशा संरक्षित रखने के लिए कटिबद्ध है. उन्होंने कहा कि सरकार, वित्तीय स्वामित्व वाली कंपनी बनाये जाने की संभावना भी तलाश रही है. यह कंपनी सरकारी क्षेत्र के बैंकों की पूंजीगत जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधन जुटाएगी.
वित्त मंत्री ने कहा कि भुगतान संरचना को वैश्विक मानकों के समकक्ष लाने के लिए व्यापक कार्य योजना तैयार की गई है जो 2012-13 में लागू की जाएगी. उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया में दुविधा तथा दोहराव से बचने और आंकड़ों को अद्यतन बनाए रखने के लिए 2012-13 में ‘अपने ग्राहक को जानें’ नामक केन्द्रीय डिपोजिटरी स्कीम तैयार की जाएगी.
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार वित्तीय क्षेत्र में विधायी सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए कटिबद्ध है. ‘पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण विधेयक, 2011’, ‘बैंकिंग विधि (संशोधन) विधेयक, 2011’ तथा बीमा विधि (संशोधन) विधेयक, 2008 के संबंध में वित्त संबंधी स्थायी समिति की सिफारिशें प्राप्त हो गई हैं. इन विधेयकों के संबंध में संशोधनों को संसद के इसी सत्र में लाया जाएगा.
वित्त मंत्री ने बजट सत्र में ही निम्नलिखित विधेयक लाने का प्रस्ताव किया है :
- सूक्ष्म वित्त संस्था (विकास और विनियमन) विधेयक, 2012
- राष्ट्रीय आवास बैंक (संशोधन) विधेयक, 2012
- भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (संशोधन) विधेयक, 2012
- राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (संशोधन) विधेयक, 2012
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) विधेयक, 2012
- भारतीय स्टाम्प (संशोधन) विधेयक, 2012
- भारतीय लोक ऋण प्रबंधन अभिकरण विधेयक, 2012
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कमजोर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पूंजीकरण की स्कीम को अगले दो वर्षों के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव किया है ताकि सभी राज्य इसमें अपना योगदान दे सकें. वित्त मंत्री ने कहा किसरकार ने वित्तीय तौर पर कमजोर 40 क्षेत्रीय ग्रमीण बैंकों के पूंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की है और फरवरी 2012 के अंत तक इनमें से 12 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का काम पूरा हो चुका है. वित्त मंत्री ने कहा किग्रामीण क्षेत्रों की ऋण जरूरतों को पूरा करने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा किभारत में 82 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में से 81 कोर बैंकिंग सोल्यूशन में बदले गए हैं और राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक फंड अंतरण व्यवस्था को अपना चुके हैं.
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने आम बजट में 5, 13,590 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया है जो सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत है. यह 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद का 5.9 प्रतिशत अर्थात 5,21,980 करोड़ रुपये था. वित्त पोषण की अन्य मदों को ध्यान में रखने के पश्चात दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से शुद्ध बजार कर्ज से इस घाटे का वित्त पोषण 4.79 लाख करोड़ रुपये है इससे 2012-13 के अंत में कुल ऋण स्टॉक 13वें वित्त आयोग सकल घरेलू उत्पाद के 50.5 प्रतिशत के लक्ष्य की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद का 45;5 प्रतिशत है. बजट अनुमान 2012-13 में प्रभावी राजस्व घाटा 1,85,452 करोड़ रुपये है जो सकल घरेलू उत्पाद का 1.8 प्रतिशत है.
वर्ष 2011-12 राजकोषीय समेकन की कई चुनौतियों में से एक रहा. अपेक्षाकृत धीमे आर्थिक विकास के कारण प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमानों से 32,000 करोड़ रूपये कम रहा. इसी के साथ सरकार ने 49 हजार करोड़ रुपये की वार्षिक राजस्व हानिके साथ पेट्रोलियम क्षेत्र में की गई शुल्क कटौती अवशेषित की है. सरकार को पेट्रोलियम और उर्वरक सब्सिडी पर भारी व्यय करना पड़ा ताकि जनता को बढ़ती कीमतों से राहत प्रदान की जा सके.
प्रणब मुखर्जी ने कुल 10,77,612 करोड़ रुपये की कर प्राप्तियों का अनुमान लगाया है जो 2011-12 के बजट अनुमानों की तुलना में 15.6 प्रतिशत और संशोधित अनुमानित की तुलना में 19.5 प्रतिशत की वृद्धि है. सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सकल कर बजट अनुमान 2011-12 के 10.4 प्रतिशत की तुलना में 2012-13 में 10.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. राज्यों को अंतरण के पश्चात 2012-13 में केन्द्र का शुद्ध कर 7,71,071 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. वर्ष 2012-13 में कर से भिन्न राजस्व प्राप्तियां 1,64,614 करोड़ और ऋण से भिन्न पूंजी प्राप्तियां 41,650 करोड़ रूपये रहने का अनुमान है.
वर्ष 2012-13 में कुल व्यय के लिए 14,90,925 करोड़ रुपये की बजटीय व्यवस्था है. इसमें से 2012-13 के लिए आयोजना व्यय 5,21,025 करोड़ रुपये है जो 2011-12 के बजट अनुमानों से 18 प्रतिशत अधिक है. यह 2012-13 की 12वीं योजना के दृष्टिकोण में अनुमानित 15 प्रतिशत वृद्धि से अधिक है. वित्त मंत्री ने कहा कि 11वीं योजना में सरकार कुल आयोजना परिव्यय का 99 प्रतिशत पूरा करने में सफल रही है.
वर्ष 2012-13 में आयोजना-भिन्न व्यय के लिए 9,69,900 करोड़ रुपये की बजटीय व्यवस्था है जो 2011-12 के संशोधित अनुमानों से 8.7 प्रतिशत अधिक है और 2011-12 के बजट अनुमानों से 18.8 प्रतिशत अधिक है. राज्यों और केन्द्रशाषित प्रदेशों को अंतरित आयोजना और आयोजन भिन्न संसाधन 2012-13 के बजट अनुमान में 3,65,216 करोड़ रुपये हैं. इनमें 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार स्थानीय निकायों को दिए जाने वाला 18,655 करोड़ रुपये का अनुदान शामिल है.
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कोल्ड चेन सुविधा, खाद्यान्नों के भंडारण के लिए भंडारगृह, अस्पताल, उर्वरक और किफायती आवास कारोबारों में हुए आवर्ती पूंजी व्यय के निवेश से जुड़ी कटौती को 100 प्रतिशत की मौजूदा दर के मुकाबले 150 प्रतिशत की बढ़ी हुर्इ दर पर मुहैया कराने का प्रस्ताव किया है.
निवेश से जुड़ी कटौती में मधुमक्खी पालन, शहद और मोम उत्पादन, कन्टेनर भाड़ा स्टेशन तथा अंतरदेशीय कन्टेनर डिपो, चीनी भंडारण के लिए भंडारगृह जैसे नये क्षेत्रों को निवेश से जुड़ी कटौती में शामिल किया जाएगा. अनुसंधान और विकास में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इन-हाउस सुविधाओं में अनुसंधान एवं विकास पर होने वाले खर्च के लिए 200 प्रतिशत की भारित कटौती को 31 मार्च, 2012 के बाद से अगले पांच वर्ष के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है. कृषि विस्तार सेवाओं के लिए किये जा रहे खर्च पर 150 प्रतिशत की भारित कटौती मुहैया कराने का प्रस्ताव किया गया है.
लघु तथा मध्यम उद्यमों के लिए लेखाओं की अनिवार्य कर लेखा परीक्षा तथा उनके अनुमानित कराधान के लिए कारोबार की सीमा को 60 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है. पूंजी बाजारों में लेन-देन लागतों को कम करने के उद्देश्य से नक़द सुपुदर्गी लेन-देन पर प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) में 20 प्रतिशत (0.125 प्रतिशत से 0.1 प्रतिशत) की छूट दी गई है. लाभ से जुड़ी कटौतियों पर व्यय को कम करने के लिए कंपनियों के अलावा लाभ से जुड़ी छूट का दावा करने वाले अन्य सभी व्यक्तियों पर वैकल्पिक न्यूनतम कर (एएमटी) लगाया गया है.
प्रणब मुखर्जी ने आयकर में छूट की सीमा को बढ़ाकर करदाताओं को राहत दी है. करदाताओं की सामान्य श्रेणी के लिए छूट की सीमा को 1,80,000 रुपये से बढ़ाकर 2,00,000 रुपये कर दिया गया है. इस उपाय से इस श्रेणी के प्रत्येक करदाता को कर में 2000 रुपये तक की राहत मिलेगी. 20 प्रतिशत राहत वाले स्लैब की ऊपरी सीमा को 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है.
आयकर में छूट इस प्रकार दी गई है:
2,00,000 रुपये तक आय- शून्य
2,00,000 रुपये-5,00,000 रुपये तक आय- 10 प्रतिशत
5,00,000 रुपये- 10,00,00 रुपये तक आय- 20 प्रतिशत
10,00,000 रुपये से अधिक आय- 30 प्रतिशत
इन परिवर्तनों से करदाताओं को राहत मिलेगी.
करदाताओं को बचत बैंक खाते से मिलने वाले ब्याज के रूप में 10 हजार रुपये तक की कटौती की अनुमति दी गई है. इससे 5 लाख रुपये तक की वेतन आय तथा बचत बैंक खातों से 10 हजार रुपये तक ब्याज वाले छोटे करदाताओं को सुविधा होगी, क्योंकि उन्हें आयकर रिटर्न नहीं भरना पड़ेगा. चिकित्सा बीमा के लिए मौजूदा छूट सीमा के भीतर स्वास्थ्य जांच के लिए 5 हजार तक की छूट का प्रस्ताव किया गया है. ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को अग्रिम कर के भुगतान से छूट दी गई है, जिनकी कारोबार से कोई आय नहीं है.
कंपनी मामलों में कर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन अपेक्षाकृत कम लागत वाली निधियों तक कंपनियों की पहुंच को सुगम बनाने और कई क्षेत्रों में निवेश को उच्च स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किये गए हैं.
कुछ संकटग्रस्त अवसंरचना के क्षेत्रों को सस्ती दर पर धन उपलब्ध कराने के लिए विदेशी वाणिज्यिक ऋणों पर ब्याज दरों पर कर रोकने की दर को तीन वर्ष के लिए 20 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है. ये क्षेत्र हैं: विद्युत, एयरलाइन, सड़क तथा पुल, पत्तन एवं पोत कारखाने, किफायती आवास, उर्वरक और बांध.
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने सिनेमा उद्योग को सिनेमैटोग्राफिक फिल्मों को रिकार्ड करने संबंधी कापीराइट पर सेवा कर से छूट प्रदान की है. सेवा कर में संशोधन आवेदन प्राधिकरण तथा निपटान आयोग की शुरूआत की जा रही है, जिससे विवादों के ज्यादा आसानी से निपटारे में मदद मिलेगी.
राजकोषीय स्थितिको अच्छी हालत में बनाए रखने के लिए सेवा कर दर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है. यह सेवाओं की दरों में परिणामी परिवर्तन के साथ होंगे तथा यह व्यक्तिक कर दरें होंगी. सेवा कर संबंधी प्रस्तावों से 18,660 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की संभावना है.
राजकोषीय सुधार की आवश्यकता को देखते हुए अब मानक दर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, मैरिट दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत तथा लोवर मैरिट दर को एक प्रतिशत से बढ़ाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है. कोयला, उर्वरक, मोबाइल फोन तथा कीमती धातुओं से बने आभूषणों के लिए लोवर मैरिट दर को एक प्रतिशत पर यथावत रखा गया है.
प्रणब मुखर्जी ने 17 शीर्षों वाली नकारात्मक सूची को सभी सेवाओं पर कर लगाने का प्रस्ताव है. नकारात्मक सूची के अलावा छूटों की सूची में स्वास्थ्य देखभाल, धर्मार्थ संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली सेवाएं, धार्मिक व्यक्ति, खिलाड़ी, लोक अथवा शास्त्रीय कला के कलाकार, गैर-कारोबारी कंपनियों को सेवा दे रहे अधिवक्ता, स्वतंत्र पत्रकार, पशु देखभाल अथवा कार पार्किंग की सेवाएं शामिल हैं. वित्तीय सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने के उद्देश्य से व्यवसाय सुविधा प्रदाताओं और बैंकों तथा बीमा कंपनियों के संपर्क व्यक्तियों की सेवाओं को भी छूट प्रदान की गयी है.
विनिर्दिष्ट अवसंरचना, नहरों, सिचाई कार्यों, फसल पश्चात अवसंरचना, रिहायशी मकान और किफायती आवास योजना के तहत निम्न लागत वाले 60 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल तक के मकानों को छूट में शामिल किया गया है. किसी हाउसिंग सोसायटी के सदस्य द्वारा दिए जाने वाले मासिक प्रभार पर छूट की सीमा को 3000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है.
प्रणब मुखर्जी ने बड़ी कारों पर उत्पाद शुल्क को 22 प्रतिशत से बढ़ाकर 24 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है. ऐसी कारें जिन पर प्रतिवाहन 22 प्रतिशत+ 15000 रुपये की मिश्रित दर से शुल्क लगता है उनके शुल्क में बढ़ोतरी तथा 27 प्रतिशत की यथा मूल्य दर का अपनाने का प्रस्ताव किया गया है. गैर-कृषिभिन्न वस्तुओं के लिए 10 प्रतिशत के सीमा शुल्क की शीर्ष दर में कोई परिवर्तन न करने का प्रस्ताव है. कृषितथा संबंधित क्षेत्र में कृषिउपकरणों और इनके पुर्जों पर बुनियादी सीमा शुल्क को 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है.
विनिर्दिष्ट काफी पौधरोपण और प्रसंस्करण मशीनरी पर बुनियादी सीमा शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है. 5 प्रतिशत के रियायती बुनियादी सीमा शुल्क पर ग्रीन हाउस और बागवानी तथा फूलों की संरक्षित खेती बाड़ी को परियोजना आयात लाभ देना, यूरिया के छोड़कर जल में घुलनशील कुछ उर्वरकों तथा तरल उर्वरकों पर बुनियादी सीमा शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत तथा 5 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत करना और मंडियों या भंडार गृहों में मैकेनाइज्ड हैंडलिंग सिस्टमों और पैलेट रैंकिंग प्रणालियों की स्थापना के लिए उपलब्ध रियायती आयात शुल्क को बागवानी उपज के लिए उपलब्ध कराना शामिल है.
उर्वरक परियोजनाओं की प्रारंभिक स्थापना अथवा बड़े पैमाने पर विस्तार के लिए उपस्कर के आयात पर 31 मार्च, 2015 तक 3 वर्ष की अवधि के लिए 5 प्रतिशत के बुनियादी सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी गयी है.
प्रणब मुखर्जी ने विश्वास व्यक्त किया है कि यूआईडी-आधार व्यवस्था अब मनरेगा, वृद्धावस्था, विधवा और अक्षमता पेंशन तथा छात्रवृत्तियों के भुगतान संबंधित क्षेत्रों में सीधे ही लाभार्थी के खाते में जमा कराने के लिए तैयार है. वित्त मंत्री ने संसद को बताया किआधार प्रणाली में नामांकनों की संख्या 20 करोड़ के पार हो गयी है और अब तक 14 करोड़ आधार नम्बर सृजित किए जा चुके हैं. उन्होंने 01 अप्रैल, 2012 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में अन्य 40 करोड़ नामांकन पूरे करने के लिए पर्याप्त धनराशिआवंटित करने का प्रस्ताव किया.