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बजट आवंटन में किस मंत्रालय को मिला सबसे ज्यादा पैसा?

आने वाले साल में सरकार खूब रुपये खर्च करने जा रही है. सरकार के बजट के मुताबिक इस बार करीब 27,863 अरब रुपये खर्च होने हैं, लेकिन इसमें आपके लिए क्या है? सरकार का कहना है कि 20 मंत्रालयों को फरवरी में पेश अंतरिम बजट से ज्यादा पैसा आवंटित किया गया है.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)

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आने वाले साल में सरकार खूब रुपये खर्च करने जा रही है. सरकार के बजट के मुताबिक इस बार करीब 27,863 अरब रुपये खर्च होने हैं, लेकिन इसमें आपके लिए क्या है? सरकार का कहना है कि 20 मंत्रालयों को फरवरी में पेश अंतरिम बजट से ज्यादा पैसा आवंटित किया गया है. इनमें से ज्यादातर सार्व​जनिक और समाज कल्याण योजनाओं पर खर्च होगा.

इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने इस बजट में 52 मंत्रालयों को हुए आवंटन की अंतरिम बजट के आवंटन से तुलना करते हुए विश्लेषण कि​या. सामाजिक न्याय और ​अधिकारिता मंत्रालय को हुए आवंटन में सबसे ज्यादा 14 फीसदी की वृद्धि हुई है. इसके बाद विदेश मंत्रालय को 11 फीसदी, पेयजल और स्वच्छता विभाग को 10 फीसदी बढ़ाकर बजट आवंटित हुआ है.

इसके बाद अंतरिक्ष विभाग को 8 फीसदी और फर्टिलाइजर को 7 प्रतिशत ज्यादा राशि आवंटित हुई है. रिसर्च एनालिसिस फर्म डीएसपी मेरिल लिंच के आंकड़े के मुताबिक, अंतरिम बजट से तुलना करें तो रक्षा और टेक्सटाइल मंत्रालय के आवंटन में क्रमश: 20 और 17 फीसदी की कटौती कर दी गई है. हालांकि, रक्षा अर्थशास्त्री और इं​स्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) के रिसर्च फेलो लक्ष्मण के बेहरा का कहना है कि ऐसा संरचनात्मक बदलाव के कारण हुआ है और डिफेंस बजट अंतरिम बजट से अलग है.

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budget-2019_071219124440.jpgखर्च में बढ़ोतरी

बेहरा के मुताबिक, 'हालांकि रक्षा मंत्रालय को हुआ आवंटन उतना ही है जो अंतरिम बजट में हुआ था, लेकिन रक्षा मंत्रालय (सिविल) और रक्षा सेवाओं के बीच वितरण में परिवर्तन हुआ है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रक्षा मंत्रालय (सिविल) से दो चीजें हटा दी गईं- एक्स सर्विसमैन कॉन्ट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) और मिलिटरी फार्म्स. इन्हें रक्षा सेवाओं के तहत शिफ्ट कर दिया गया. इनमें तीन अन्य सशस्त्र बलों के अलावा डीआरडीओ और आयुध फैक्ट्रियों जैसे प्रतिष्ठान भी शामिल हैं.'

किसी व्यावसायिक संस्थान से अलग सरकार का बजट मुख्यत: टैक्स के पैसे से आवंटित होता है और इस पर संसद की मुहर लगी होती है. खर्च नियंत्रण व्यवस्था का काम होता है कि वह खर्च की सीमा को नियंत्रित रखे, जबकि सरकारी खर्च यह दिखाता है कि सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं. हालांकि, राज्यों के लिए बुरी खबर है. इस बजट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020 में राज्यों को करीब 1,554 अरब रुपये आ​वंटित किए जाने हैं और यह अंतरिम बजट की तुलना में 115 अरब कम है.

budget_071219124521.jpgयहां हुई कटौती

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पहला ​बजट ज्यादा आय पर केंद्रित है और खर्च का अनुमान अंतरिम बजट से मिलता जुलता है. हालांकि, डीएसपी मेरिल लिंच का अनुमान है कि खर्चों में कटौती की जाएगी. बजट 2019 का लक्ष्य इस विश्वास के साथ तय किया गया है कि राजस्व में 25.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी और कुल खर्च में इसकी भागीदारी 20.5 फीसदी बनी रहेगी, जिससे कि राजस्व घाटा 3.3 फीसदी पर आ जाएगा.

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