लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी. इस बजट के जरिए सरकार हर वर्ग के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेगी. खासतौर पर सरकार की निगाहें ग्रामीण इलाके के वोटर्स पर होंगी. आर्थिक जानकारों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए सरकार सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं पर अपना खर्च बढ़ा सकती है. जानकारों की मानें तो बजट में किसानों को कम इंटरेस्ट पर तेजी से लोन देने सहित कई ऐलान हो सकते हैं, जिससे भारत के ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों को प्रभावित किया जा सकता है. बता दें कि बीते साल के पूर्ण बजट में भी ग्रामीण क्षेत्र पर फोकस किया गया था और 14.34 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव था.
2018 के बजट में क्या था खास
वित्त वर्ष 2018-19 में मछली पालन से लेकर पशुपालन और अफोर्डेबल हाउसिंग पर फोकस करने का ऐलान किया गया. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सा सेवा सुधारने के लिए भी कई बड़े फैसले लिए गए. इसके लिए हर 3 संसदीय क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव किया गया था. वहीं 2300 करोड़ रुपये अंडर वॉटर इरीगेशन पर खर्च करने का प्रस्ताव था. ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारने और इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं पर 14.34 लाख रुपये खर्च किए जाने का ऐलान किया गया. 2018 के आम बजट में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत गांवों को ग्रामीण हाट, उच्च शिक्षा केंद्र और अस्पतालों से जोड़ने का भी प्रस्ताव था. वहीं मनरेगा को लेकर बीते साल के बजट एक रुपये का भी आवंटन नहीं बढ़ाया है. साल 2017 के बजट में 55 हजार करोड़ रुपये मनरेगा के लिए आवंटित किया गया था, जो इस साल भी इतना ही रहा. हालांकि केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत 6000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि बांटी है जो अब तक का रिकॉर्ड है.
ग्रामीण महिलाओं के लिए था खास
2018 में आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीण महिलाओं के लिए कई बड़े ऐलान किए. उज्जवला योजना का विस्तार करते हुए 5 करोड़ परिवार के लक्ष्य को बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया गया. महिलाओं की स्व-सहायता समूह के लिए मार्च 2019 तक ऋण राशि बढ़ाकर 75,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया. वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के आवंटन को बढ़ाकर 5750 करोड़ रुपये किया गया. देश में 22 हजार ग्रामीण व्यापार केंद्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण और गांवों से उनकी कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया गया.
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गांवों को डिजिटल बनाने पर जोर
बीते साल के बजट में गांवों को डिजिटल बनाने पर जोर दिया गया. बजट में यह कहा गया कि 5 करोड़ ग्रामीणों को इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए सरकार 5 लाख वाई-फाई हॉट स्पॉट तैयार करेगी. इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये की धनराशि का आवंटन किया गया. बजट में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किए गए निवेश प्रस्तावों से 321 करोड़ मानव श्रम दिवस तैयार करने का ऐलान किया गया था. इस बार के अंतरिम बजट में भी डिजिटल इंडिया की मुहिम को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने के लिए कुछ बड़े ऐलान हो सकते हैं.