20 सालों में पहली बार डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन लुढ़कने का अनुमान है. ये दावा न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक 23 जनवरी तक टैक्स डिपार्टमेंट ने सिर्फ 7.3 लाख करोड़ रुपये ही जुटाए हैं. पिछले वित्त वर्ष में सामान अवधि से अगर तुलना करें तो टैक्स कलेक्शन 5.5 फीसदी कम है.
वहीं सरकार के लक्ष्य की बात करें तो चालू वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का अनुमान करीब 13.5 लाख करोड़ रुपये लगाया गया था. कहने का मतलब ये है कि चालू वित्त वर्ष (1अप्रैल 2019- 31 मार्च 2020) में टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य लगभग 6.2 लाख करोड़ रुपये दूर है. यहां बता दें कि सरकार के सालान रेवेन्यू में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का हिस्सा करीब 80 फीसदी होता है. जाहिर सी बात है, रेवेन्यू कम होने की स्थिति में सरकार को कर्ज लेना पड़ सकता है.
क्या है रिपोर्ट में?
दरअसल, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने आठ सीनियर टैक्स अधिकारियों से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में इन अधिकारियों ने कहा है कि तमाम प्रयासों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 11.5 लाख करोड़ रुपये से कम रह सकता है. अधिकारियों ने कहा, 'टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य तो भूल जाइए, ऐसा पहली बार होगा कि हमें इसमें गिरावट देखने को मिलेगा.' यहां बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 में टैक्स कलेक्शन 11.5 लाख करोड़ रुपये रहा था.
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क्या है इसकी वजह?
बीते साल सरकार ने आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की थी. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि टैक्स कलेक्शन में कमी होने का यह प्रमुख कारणों में से एक है. सरकार की इस कटौती की वजह से राजस्व पर 1.45 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ना तय है.
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बजट से पहले झटके
ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब आम बजट 1 फरवरी को पेश होने वाला है. बजट से पहले आर्थिक मोर्चे पर लगातार बुरी खबरें आ रही हैं. आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक समेत कई बड़ी रेटिंग एजेंसियों ने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटा दिया है. वहीं महंगाई दर भी बढ़ गई है. ऐसे में अब यह देखना अहम है कि आम बजट में सरकार की ओर से क्या एक्शन लिया जाता है.